इस्लामाबाद, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत द्वारा सिंधु जल संधि की समीक्षा के फैसले के बाद पाकिस्तान ने जोर देते हुए कहा है कि भारत इस संधि को एकपक्षीय रूप से रद्द या उसमें बदलाव नहीं कर सकता।
‘डॉन’ के मुताबिक, विदेश विभाग के प्रवक्ता नफीस जाकरिया ने गुरुवार को साप्ताहिक ब्रीफिंग के दौरान कहा, “सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) किसी खास समय सीमा तक के लिए नहीं की गई थी। भारत व पाकिस्तान इसके प्रावधानों को मानने के लिए बाध्य है।”
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर भारत के ताजा कदम को लेकर दबाव बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत का यह रुख समझौते को लेकर उसकी बाध्यताओं व प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन है। आईडब्ल्यूटी के अनुच्छेद 12 के उप प्रावधान (3) तथा (4) के मुताबिक, समझौते को एकपक्षीय ढंग से न तो रद्द किया जा सकता है और न ही इसमें बदलाव किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान हालात पर करीब से नजर बनाए हुए है और उसके मुताबिक ही जवाब देगा।”
सिंधु जल संधि को लेकर भारत की चेतावनी के मद्देनजर विदेश मामलों पर नेशनल असेम्बली की स्थायी समिति ने गुरुवार को विदेश मंत्रालय से ‘जल कूटनीति’ शुरू करने को कहा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने एक बैठक में सिंधु जल संधि पर कहा था, “खून तथा पानी एक साथ नहीं बह सकते।” बैठक के दौरान, भारत ने 56 साल पुरानी संधि की समीक्षा करने और अपने लिए अधिक पानी के इस्तेमाल का फैसला किया।
जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी में सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर हुए हमले के बाद पिछले महीने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा था, “संधि पर मतभेद हैं। किसी भी संधि के अस्तित्व में रहने के लिए आपसी विश्वास व सहयोग जरूरी है। यह एकपक्षीय नहीं हो सकता।”
जल संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में दोनों देशों के बीच सन् 1960 में हुई थी।
संधि के मुताबिक, भारत का तीन पूर्वी नदियों- ब्यास, रावी तथा सतलज पर नियंत्रण है, जो पंजाब से होकर बहती हैं। जबकि पाकिस्तान का पश्चिमी नदियों सिंधु, चेनाब तथा झेलम पर नियंत्रण है, जो जम्मू एवं कश्मीर से बहती हैं।