भोपाल, 29 जनवरी (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की नौकरियों में भर्ती के लिए आयोजित परीक्षाओं में फर्जी तरीके से परीक्षा दे रहे अभ्यर्थियों को पकड़ने वाले छह शिक्षक (वीक्षक) को 50 हजार से एक लाख रुपये तक के चेक देकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान समारोह शुक्रवार को प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पेब) द्वारा आयोजित किया गया।
पहले यह बोर्ड ‘व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं)’ कहलाता था, जो घपलों, घोटालों और रहस्यमय मौतों के लिए चर्चित रहा है।
फर्जी परीक्षार्थियों को पकड़ने वाले को एक लाख रुपये और प्रशस्ति-पत्र देने का प्रावधान है, लेकिन वीक्षक (इंविजिलेटर) एक से ज्यादा होने पर राशि उनमें बांट दी जाती है। लेकिन अब उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने एक से ज्यादा वीक्षक होने पर प्रत्येक को कम से कम 50 हजार रुपये देने का फैसला लिया है। इसी आधार पर न्यूनतम 50 हजार रुपये का चेक दिया गया।
उच्च शिक्षा मंत्री गुप्ता ने शुक्रवार को भोपाल में एक समारोह में वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2015 में सतना स्थित शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (गवर्नमेंट पीजी कालेज) में बनाए गए परीक्षा केंद्र में फर्जी परीक्षार्थी को पकड़ने वाले सुशील पांडेय, रहमत अली और दीपक चौरसिया को 50-50 हजार रुपये का चेक और प्रशस्ति-पत्र दिया।
वन रक्षक भर्ती परीक्षा-2015 में ही भोपाल स्थित एलएनसीटी कालेज में बनाए गए परीक्षा केंद्र में फर्जी परीक्षार्थी को पकड़ने वाले अंशुल सरावगी और प्रशांत पांडेय को 50-50 हजार रुपये तथा जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा-2015 में जबलपुर स्थित श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बनाए गए परीक्षा केंद्र में फर्जी परीक्षार्थी पकड़ने वाले वीक्षक सुनील रक्षित को एक लाख रुपये की सम्मान राशि का चेक और प्रशस्ति-पत्र दिया गया।
बोर्ड की अध्यक्ष अरुणा शर्मा ने इस मौके पर कहा कि हर गांव में कक्षा सातवीं के बच्चों से लेकर 25 वर्ष तक के युवाओं को पंचायत में उपलब्ध कम्प्यूटर पर ग्रामीण रोजगार सहायक द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे ग्रामीण बच्चों को ऑनलाइन परीक्षा देने में कठिनाई नहीं होगी। उन्होंने बताया कि अब तक पांच ऑनलाइन भर्ती परीक्षाएं सफल रही हैं।
इस मौके पर बोर्ड के निदेशक भास्कर लाक्षाकार ने परीक्षा प्रणाली में किए गए सुधारों के बारे में जानकारी दी।