नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ मुद्रा बैंक की शुरुआत की। इसका उद्देश्य छोटे उद्यमों को आसान दरों पर ऋण उपलब्ध करवाना तथा सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं पर नियंत्रण एवं उनका विकास है, जिससे अंतत: देश की उत्पादकता में वृद्धि होगी और रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन होगा।
अधिकारियों ने बताया कि इस योजना का लक्ष्य देश में चल रहे 5.8 करोड़ लघु उद्योगों को लाभ पहुंचाना है, जो 12 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुनर्वित्त एजेंसी लिमिटेड’ (माइक्रो यूनिट्स डेवेलपमेंट एंड रीफाइनेंस एजेंसी-मुद्रा) के उद्घाटन अवसर पर कहा, “जिनके बैंक खाते नहीं थे, जनधन योजना के तहत ऐसे लोगों के खाता खुलवाने के बाद, उनका वित्तपोषण करने की जरूरत है, जिनके पास वित्तीय संसाधन नहीं हैं। मुद्रा इसी दिशा में हमारा नया प्रयास है।”
उन्होंने कहा, “इस देश में करोड़ों ऐसे स्त्री-पुरुष हैं, जो लघु उद्योग चलाते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में उनका बड़ा योगदान होने के बावजूद वे औपचारिक संस्थागत वित्त के दायरे से लगभग बाहर ही बने रहते हैं।”
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “ऐसे सूक्ष्म और लघु उद्योग इकाइयों और उद्यमों की संस्थागत वित्त तक पहुंच से न केवल उद्यमियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि यह उनके विकास और रोजगार को बढ़ाने में भी कारगर होगा।”
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 फरवरी को अपने बजट के भाषण में कहा था कि भारत में 5.77 करोड़ लघु उद्योग हैं, जिनमें से अधिकतर व्यक्तिगत प्रोपराइटरशिप में हैं। इन उद्यमियों को अगर औपचारिक ऋण व्यवस्था नहीं उपलब्ध कराई गई तो, ये मुश्किल में पड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा था, “इसलिए मैं 20,000 करोड़ रुपये के कोष और 3,0000 करोड़ रुपये की ऋण गारंटी कोष वाला एक सूक्ष्म इकाई विकास एवं पुनर्वित्त एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) बैंक बनाने का प्रस्ताव रखता हूं। मुद्रा बैंक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के जरिए सूक्ष्म-वित्तीय संस्थानों का पुनर्वित्तीयन करेगा।”