न्यूयार्क, 18 मार्च (आईएएनएस)। अगर डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी में चल रहे तमाम विरोध के बावजूद उम्मीदवार बनने में सफल हो भी जाते हैं तो भी उनके राष्ट्रपति चुनाव में जीतने की संभावना बहुत कम है। शोधकर्ताओं का मानना है कि बिरले ही ऐसा हुआ है कि किसी व्यक्ति या मुद्दे पर विभाजित पार्टी का उम्मीदवार जीत कर व्हाइट हाउस पहुंच जाए।
इस अध्ययन में पिछले राष्ट्रपति चुनावों में उम्मीदवार के नाम पर विभाजित पार्टियों की जांच की गई। इसमें पाया गया कि पार्टी के अंदर चाहे राष्ट्रीय स्तर पर असहमति हो या प्रांतीय स्तर पर, दोनों ही आम चुनाव के नतीजों पर गहरा असर डालते हैं।
अध्ययनकर्ताओं में से एक अमेरिका के जार्जिया विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर पॉल-हेनरी गुरियन ने बताया, “इतिहास में जब भी कोई पार्टी विभाजित रही है और उसके मुकाबले में अगर सामने वाली पार्टी में एकता है तो विभाजित पार्टी को हमेशा राष्ट्रपति चुनाव में हार मिली है।”
गुरियन कहते हैं कि 1964 से 1984 तक के सभी चुनावों का अध्ययन यही बताता है कि सभी में विभाजित पार्टी की हार हुई है।
यह अध्ययन पोलिटिकल बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित हुआ है।