लंदन, 28 जनवरी (आईएएनएस)। अवसादरोधी दवाएं बच्चों और किशोरों को आक्रामक बना सकती हैं, यहां तक कि उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति भी पनप सकती है। एक शोध में यह चेतावनी दी गई है।
डेनमार्क के शोधकर्ताओं के मुताबिक, अवसादरोधी दवाओं से बच्चों और किशोरों में आक्रामकता और आत्महत्या की प्रवृत्ति का खतरा दुगना हो जाता है।
हालांकि उन्हें अवसादरोधी दवाओं और आक्रामकता व अवसाद में कोई सीधा संबंध नहीं मिला। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोधदल ने 18,526 मरीजों की जांच की। जांच के दौरान उन्हें अवसादरोधी दवाएं दी गई थीं।
यह शोध बीएमजे नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसमें सिफारिश की गई है कि बच्चों, किशोरों और नवयुवकों को कम से कम अवसादरोधी दवाएं देनी चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें गंभीर हानि पहुंच सकती है। इसलिए अवसाद का इलाज दवाओं के जरिए करने की बजाय वैकल्पिक इलाज जैसे व्यायाम और साइकोथेरेपी पर जोर देना चाहिए।