अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत का सामना करेगी.
अल्पमत होने के बावजूद आम आदमी पार्टी को कांग्रेस विधायकों के समर्थन से सरकार के विश्वास मत हासिल कर लेने की संभावना है.
कांग्रेस ने एक दिन पहले ही साफ कर दिया कि वह आप सरकार को समर्थन जारी रखेगी.
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा, ‘‘हमने बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है और हम उसकी समीक्षा नहीं कर रहे हैं.’’
वैसे केजरीवाल ने बुधवार को आशंका जताई थी कि उनकी सरकार के पास वादों को पूरा करने के लिए सिर्फ 48 घंटे का वक्त है.
“आप”के 70 सदस्यीय विधानसभा में 28 विधायक हैं. विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए उसे 36 विधायकों की जरूरत होगी. इसके लिए उसे आठ विधायकों के समर्थन की जरुरत होगी.
कांग्रेस के जहां आठ विधायक हैं, लेकिन इसमें से सात विधायक ही विश्वास मत में हिस्सा ले पाएंगे, क्योंकि कांग्रेस के मतीन अहमद को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है और वह अपना वोट नहीं डाल पाएंगे.
वैसे जद (यू) के एकमात्र विधायक ने भी केजरीवाल सरकार को समर्थन देने की घोषणा की है. इस तरह देखें तो कांग्रेस के साथ विधायकों और जद यू के एक विधायक ने आप को समर्थन दिया तो सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी.
विश्वास मत के टाई होने की सूरत में प्रोटेम स्पीकर को वोट देने का मौका मिलेगा. लेकिन लगता नहीं कि वो नौबत आएगी.