अरुल लुईस
अरुल लुईस
संयुक्त राष्ट्र, 14 मई (आईएएनएस)। भारत ने उन देशों की कड़ी आलोचना की है, जिनकी इच्छित नीतियों के कारण आतंकवादियों को शस्त्र उपलब्ध हो रहे हैं और इसके साथ ही इसने छोटे हथियारों के अवैध व्यापार पर रोक लगाने के लिए आपूर्तिकर्ता के खिलाफ कठोर अंतर्राष्ट्रीय कदम उठाने की मांग की है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक कुमार मुखर्जी ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में छोटे हथियारों के अवैध व्यापार से संबंधित चर्चा के दौरान कहा, “इन हथियारों का सरलता से बड़ी संख्या में उपलब्ध होना और कुछ देशों के कारण सरलता से इस तक पहुंच बनाना, इच्छित नीति रही है, जो कि आतंकवाद में वृद्धि की मुख्य वजह है।”
उन्होंने कहा कि भारत सीमा पार से होने वाले आतंकवाद से प्रभावित देश है। मुखर्जी ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का मुख्य केंद्र आपूर्ति की तरफ भी समान रूप से होना चाहिए।”
इधर, पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने आपूर्ति की समस्या से ध्यान हटाते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह मांग अनसुलझे मतभेद के कारण पैदा हो रहा है।
लोधी ने कहा कि छोटे हथियारों के व्यापार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रिया का मुख्य जोर हथियारों की आपूर्ति को नियंत्रित करने पर होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “यहां प्रक्रिया को विकसित करने और मांग पक्ष पर ध्यान देने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति को केंद्रित करने की जरूरत है। इसका मतलब अनसुलझे मतभेद, मतभेद की मुख्य वजह, आतंकवाद को उत्पन्न करने वाला स्थान और संगठित अपराध के उत्पन्न होने के पीछे के कारक से निपटना है।”
संयुक्त राष्ट्र के अभियान में भारत के शांति रक्षकों की संख्या सबसे अधिक है और मुखर्जी ने आतंकवाद से उन्हें खतरे का उल्लेख करते हुए कहा, “हम संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों पर आतंकवादी संगठन के इन हथियारों के इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर करते हैं।”
इस दौरान एक अन्य वक्ताओं में छोटे हथियारों के प्रसार के खिलाफ लड़ने वाले कोटे डीवॉयर के नेता और हथियारों के खतरे का सामना कर चुके कारामोको दिकाइत ने कहा, “हम कई दिनों से आतंकित है, जानवरों की तरह हमारा शिकार हो रहा है, बिना भोजन, बिना पानी, बिना मदद के लगातार मौत के डर से हम जी रहे हैं।”
हथियारों की आपूर्ति की पहचान करते हुए उन्होंने कहा कि लीबिया में मुअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद वहां से हथियार माली, निगर, नाइजेरिया, चाड और कैमरून में आतंकवादी संगठनों को फलने-फूलने के लिए भेजे जा रहे हैं।