नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)। रत्न और आभूषण उद्योग के लगातार तीसरे दिन जारी हड़ताल के बीच सरकार ने शुक्रवार को कहा कि इस उद्योग पर कर लगना चाहिए और इस तरह से उसे व्यवस्था का हिस्सा बनना चाहिए।
आभूषण उद्योग ने बजट 2016-17 के प्रस्ताव के विरुद्ध बुधवार को हड़ताल शुरू किया है। बजट में सोने और हीरे के आभूषण पर फिर से एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगाए जाने और दो लाख रुपये से अधिक की खरीदारी पर पैन संख्या का उल्लेख आवश्यक किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के सदस्य राम तीरथ ने यहां फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में कहा, “2-3 लाख करोड़ रुपये वाले रत्न और आभूषण उद्योग पर अभी कर नहीं लग रहा है। सरकार मानती है कि इस आर्थिक गतिविधि को मुख्य प्रणाली में शामिल होना चाहिए और इस पर कर लगना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि कराधान को यथासंभव सरल बनाया गया है।
उन्होंने कहा, “किसी को अपने स्टॉक की घोषणा नहीं करनी होगी और सत्यापन की जरूरत भी नहीं होगी।”
तीरथ ने कहा, “आवेदन के बाद दो कार्यदिवस के अंदर पंजीकरण दे दिया जाएगा।”
बजट में आभूषण पर इनपुट क्रेडिट के बिना एक फीसदी या इनपुट कर क्रेडिट के साथ 12.5 फीसदी उत्पाद शुल्क प्रस्तावित किया गया है। इसमें चांदी तथा कुछ अन्य प्रकार के गहनों को शामिल नहीं किया गया है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने 2005 में रत्न और आभूषण पर एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगाया था, जिसे बाद में हटा लिया गया था।