झांसी एसएसपी अब्दुल हमीद ने बताया कि जनपद में अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए थानों की पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में उनके निर्देश एवं एसपी (सिटी) दिनेश कुमार सिंह के नेतृत्व में प्रेमनगर और बबीना थाने की पुलिस लगातार अभियान चला रही थी। तभी उन्हें पता चला कि बीएचईएल आरा मशीन के पास से कुछ शातिर अपराधी भागने की फिराक में हैं।
सूचना पर दोनों थानों की पुलिस बताए गए स्थान पर पहुंची और उन्हें कार समेत पकड़ लिया। पकड़े गए अपराधियों में एक महिला भी शामिल है। पूछताछ में उन्होंने अपने नाम अनिल पटैरिया निवासी बनगुंवा थाना बरुआसागर, राजेंद्र शर्मा उर्फ राजू निवासी अंदर लक्ष्मीगेट, हाल निवासी हरिकिशन डिग्री कालेज के पास सीपरी बाजार और सुधा शर्मा पत्नी कल्लू उर्फ बृजेंद्र शर्मा निवासी रनगुवां थाना बड़ागांव हाल निवासी आरामशीन बीएचईएल बबीना बताया।
एसएसपी के अनुसार, पकड़े गए युवक अनिल पटैरिया ने बताया कि उसकी रानी नाम की महिला से शादी हुई थी। रानी का 15 लाख रुपये का बीमा था। बीमा की रकम हड़पने के लिए अनिल ने वर्ष 2009 में अपनी पत्नी रानी की हत्या कर दी। इसके बाद इस हत्या को एक्सीडेंट का रूप दिखाने के लिए उसके शव को गढ़िया डैम में फेंक दिया।
पुलिस ने एक हादसा समझकर उसके शव को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। पत्नी की मौत के बाद बीमा की रकम अनिल को मिल गई थी। इससे उसने अपनी साले धर्मेद्र को बाइक दिला दी। इसके बाद वह अपनी प्रेमिका सुधा के साथ रहने लगा था।
यह बात रानी के भाई धर्मेद्र को रास नहीं आ रही थी। वह अनिल पर अपनी बहन की हत्या का शक करने लगा। इस कारण अनिल ने 4 नवंबर 11 को उसकी हत्या कर शव को गाढ़िया बांध में फेंक आया था।
हत्यारोपी अनिल पटैरिया ने पूछताछ में बताया कि सुधा शर्मा के उसके साले दीपक शर्मा निवासी खजराहा से अवैध संबंध थे। इसके लिए दीपक शर्मा ने अपना बड़ागांव गेट स्थित अपना मकान 15 लाख में बेच दिया था। मकान बेचकर आने वाली रकम को लेकर वह सुधा के पास आकर रहने लगा।
दीपक सुधा के पति का ममेरा भाई था, जिस कारण किसी को इस पर ऐतराज भी नहीं हुआ। दीपक के पास रकम देखकर सुधा भी उसके साथ रहने का तैयार हो गई। इसी बीच सुधा के अपने पति के चचेरे भाई अखिलेश शर्मा निवासी रनगुवां से अवैध संबंध हो गए।
अखिलेश लगातार सुधा से दीपक को हटाने के लिए दवाब बना रहा था। लेकिन रुपयों के लालच में सुधा दीपक को नहीं हटा रही थी। अभी दीपक और अखिलेश से सुधा के संबंध चल ही रहे थे कि तभी सुधा की जिंदगी में अनिल पटैरिया आ गया और उससे अवैध संबंध हो गए। लेकिन दीपक शर्मा सुधा के पास हमेशा रहता था। इसको लेकर अखिलेश और अनिल को सुधा से मिलने में परेशानी थी।
जब इसकी जानकारी दीपक को हुई तो वह इसका विरोध करने लगा। इसको लेकर उनका झगड़ा होने लगा था। इसी बीच दीपक के बड़े भाई धर्मेद्र का शव मिला था। दीपक को अनिल पर शक था कि उसने धर्मेद्र की हत्या की है। अभी शक की सुई घूम ही रही थी। कि तभी 25 अगस्त 16 को अनिल और अखिलेश का दीपक शर्मा से सामना हो गया। जहां उनमें गाली-गलौज हुई और एक दूसरे को जान से मारने की धमकी दी गई।
अनिल ने पूछताछ में बताया कि उसने अखिलेश के साथ मिलकर पहले दीपक के साढ़ू राजू उर्फ राजेंद्र से दोस्ती की। राजेंद्र ने बताया कि दीपक ने सुधा के चक्कर में अपनी रकम खर्च कर दी है। उसके आरा माशीन के नजदीक दो प्लॉट हैं। इसके बाद राजेंद्र उर्फ राजू ने प्लॉट बिकवाने के नाम पर दीपक शर्मा को बुलाया। इस पर दीपक सुधा को लेकर आरा मशीन पहुंचे, जहां अनिल और अखिलेश अपने दो अन्य साथियो के साथ कार यूपी 78 एडब्लू 3311 से वहां से वहां पहुंचे।
उन्हें देखकर दीपक आग बबूला हो गया, लेकिन सुधा ने किसी प्रकार समझाया कि सभी आपस में रिश्तेदार है। मामला शांत होने के बाद सभी मारुति कार में बैठकर हाईवे की ओर निकल गए। वहां उन्होंने हथौड़े से हमला करते हुए दीपक की हत्या कर दी। इसके बाद उसके शव को दुगार्पुर के नजदीक फेंककर भाग गए।
इस घटना के चार दिन बाद मृतक दीपक का चचेरा भाई संजय सुधा के पास पहुंचा। वहां उसने सुधा को धमकाते हुए कहा कि उसे मालूम चल गया है कि उसके भाई दीपक की हत्या किसने की है। वह किसी को भी छोड़ेगा नहीं। इससे सुधा घबरा गई और उसने यह बात अखिलेश व अनिल को बताया।
अखिलेश और संजय आपस में दोस्त थे। इसका लाभ उठाकर संजय को पार्टी के नाम पर बुलाया और फिर उसकी चाकूओं से हत्या कर शव को उसके गांव में कुएं के नजदीक खेत में फेंककर भाग गए।
पकड़े गए हत्यारोपियों को पुलिस टीम में प्रेमनगर थाना प्रभारी प्रवीण कुमार यादव, बबीना थानाध्यक्ष धर्मवीर सिंह यादव, उपनिरीक्षक लालचंद्र यादव, अमरपाल सिंह, राशिद, सिपाही उपेंद्र शर्मा, रितिक मिश्रा, चालक शिवकरन, शेलैंद्र व बृजेंद्र शमिल रहे।