आयोग ने लगातार बढ़ती विद्युत दुर्घटनाओं पर उपभोक्ता परिषद द्वारा सौंपे गए आंकड़े को बेहद गंभीर बताया गया है।
गौरतलब है कि उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने 5 दिन पूर्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर प्रदेश में बढ़ती बिजली दुर्घटनाओं से आम जनमानस की जान जाने की घटना को बेहद संजीदा व संवेदनशील मामला बताते हुए उप्र विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित प्रत्यावेदन दाखिल किया गया था। इसमें विद्युत दुर्घटनाओं के चलते आम जनमानस की बड़ी संख्या मृत्यु होने पर प्रदेश की बिजली कंपनियों के खिलाफ आयोग से कठोर कदम उठाने की मांग की गई थी।
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व विश्व ऊर्जा परिषद के स्थायी सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में बढ़ती विद्युत दुर्घटनाओं से जहां सैकड़ों व्यक्तियों की जाने जा रही हैं, वहीं बड़ी संख्या में बेजुबान जानवर भी मारे जा रहे हैं और साथ ही समय-समय पर किसानों की फसलें भी दुर्घटना में राख हो जाती हैं।
विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा जारी आंकड़े स्वत: बता रहे हैं कि पिछले तीन साल में बिजली से 1810 लोगों की मौत हुई, जो गंभीर चिंता का विषय है।
वर्ष 2012-13 में घातक विद्युत दुर्घटना के 1048 तथा साधारण विद्युत दुर्घटना के 144 मामले सामने आए, जबकि 570 लोगों की मौत हुई। वर्ष 2013-14 में घातक विद्युत दुर्घटना के 1204 तथा साधारण विद्युत दुर्घटना के 149 मामले सामने आए, जबकि 611 लोगों की मौत हुई। वहीं वर्ष 2014-15 में घातक विद्युत दुर्घटना के 1185 तथा साधारण विद्युत दुर्घटना के 135 मामले सामने आए, जबकि 629 लोगों की मौत हुई।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग बिजली कंपनियों के खिलाफ कठोर कदम उठाएया।