Monday , 6 May 2024

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उप्र विधानसभा चुनाव में अतिपिछड़े ही रहेंगे निर्णायक : लौटनराम

निषाद ने कहा कि जब कांग्रेस 10 वर्षो तक केंद्र की सत्ता में थी तो उसे अतिपिछड़ों को सामाजिक न्याय व अलग से आरक्षण कोटा देने की चिंता नहीं थी। सत्ता से बाहर होने के बाद उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अतिपिछड़ों को भ्रमित करने के लिए उसके अंदर अतिपिछड़ा मोह जगाा है, जो घड़ियाली आंसू बहाने के समान है। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनाव-2017 में अतिपिछड़ा वर्ग व निषाद समाज की ‘गेम चेंजर’ की भूमिका रहेगी।

निषाद ने कहा कि निषाद, बिंद, कश्यप सहित अतिपिछड़े वर्ग की जातियां कभी समाजवादी पार्टी (सपा) तो कभी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ जुड़कर उनकी सरकारें बनाती-बिगाड़ती रहीं हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव 2017 में निषाद, बिंद, कश्यप व अतिपिछड़े वर्ग की उपजातियां अब वोटर व प्रचारक का काम न कर सामाजिक न्याय, मान सम्मान, अधिकार व राजनीतिक भागीदारी के लिए निर्णायक की भूमिका निभाएंगी।

उन्होंने कहा कि 153 विधानसभा क्षेत्रों में निषाद वंशीय मल्लाह, केवट, मांझी, बिंद, धीवर, धीमर, कहार, कश्यप, तुरहा, गोड़िया, रायकवार आदि जातियों की मतदाता संख्या 40 हजार से अधिक होने के बाद भी यह समाज राजनीतिक उपेक्षा व सामाजिक अन्याय का शिकार होता रहा है। उन्होंने कहा कि सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की टीम में निषाद, बिंद, लोधी, किसान, समाज की घोर उपेक्षा की गई है।

उप्र विधानसभा चुनाव में अतिपिछड़े ही रहेंगे निर्णायक : लौटनराम Reviewed by on . निषाद ने कहा कि जब कांग्रेस 10 वर्षो तक केंद्र की सत्ता में थी तो उसे अतिपिछड़ों को सामाजिक न्याय व अलग से आरक्षण कोटा देने की चिंता नहीं थी। सत्ता से बाहर होने निषाद ने कहा कि जब कांग्रेस 10 वर्षो तक केंद्र की सत्ता में थी तो उसे अतिपिछड़ों को सामाजिक न्याय व अलग से आरक्षण कोटा देने की चिंता नहीं थी। सत्ता से बाहर होने Rating:
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