निषाद ने मत्स्य जीवी सहकारियों समितियों के संचालकों, अध्यक्षों, सचिवों की बैठक में कहा कि खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का सिंडीकेट पूरे प्रदेश में खनन के कार्य में लगा हुआ है तथा जेसीबी मशीनांे से खनन कार्य कराए जाने से मछुआरे मजदूर बेकारी की स्थिति में पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने मछुआरों की रोजी रोटी बहाल नहीं की, तो 2017 में मछुआरे सपा को सत्ता से बाहर कर देंगे।
बैठक में मत्स्य जीवी सहकारी समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि 1994-95 में मुलायम सिंह यादव ने मत्स्य पालन पट्टा बालू मौरंग खनन पट्टा मछुआरों को दिए जाने का शासनादेश जारी किया था, लेकिन वर्तमान में मछुआरों का सभी परंपरागत पेशा नीलामी प्रथा के अंतर्गत कर दिए जाने से इनके पेशों पर पूंजीपतियों व बाहू बलियों को कब्जा हो गया है तथा परम्परागत पेशा करने वाला मछुआरा समाज बेकारी व भुखमरी की स्थिति में पहुंच गया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मत्स्य पालन पट्टा की लगान कृषि लगान की भांति किए जाने की मांग की।
बैठक में आशीष कुमार निषाद ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने का शासनादेश किया है, लेकिन मछुआरों को इसका कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है।
उन्हांेने कहा कि जब मत्स्य पालन पट्टा की लगान न्यूनतम 10 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष की गई है तो मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने का क्या लाभ। वहीं स्वरूप नारायण कश्यप ने कहा कि श्रेणी-3 के तालाबों का पट्टा व सिर धरी खत्म करने से मछुआरा समाज भूखों मर रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से श्रेणी-3 के तालाबों का पट्टा बहाल कर इसकी सिरधरी पूर्व की भांति मछुआरों को दिए जाने की मांग की।
रमेशचंद्र निषाद ने कहा कि 15 अगस्त तक उत्तर प्रदेश सरकार ने 1994-95 के आदेशानुसार, नीति निर्धारण कर मत्स्य पालन पट्टा प्रणाली को लागू नहीं किया तो प्रदेश के परंपरागत पेशेवर मछुआरें प्रदेशव्यापी आंदोलन करने को बाध्य होंगे। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त के बाद जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करने के बाद क्रमिक अनशन किया जाएगा।