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एआईपी प्रौद्योगिकी 6 में से अंतिम पनडुब्बी में लग पाएगी

नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएनएस)। देश में विकसित हो रही एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रौद्योगिकी देश में निर्मित हो रही छह पनडुब्बियों में से अंतिम में लगाई जा सकेगी। नई प्रौद्योगिकी से पनडुब्बी अधिक समय तक पानी के अंदर रह सकेगी और इसके लिए उसे बैटरी चार्ज करने के लिए बार-बार सतह पर नहीं आना पड़ेगा।

नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएनएस)। देश में विकसित हो रही एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रौद्योगिकी देश में निर्मित हो रही छह पनडुब्बियों में से अंतिम में लगाई जा सकेगी। नई प्रौद्योगिकी से पनडुब्बी अधिक समय तक पानी के अंदर रह सकेगी और इसके लिए उसे बैटरी चार्ज करने के लिए बार-बार सतह पर नहीं आना पड़ेगा।

शुरू में योजना थी कि छह में से अंतिम दो पनडुब्बियों में यह प्रौद्योगिकी लगाई जाएगी। नौसेना के एक अधिकारी ने हालांकि कहा कि पांचवीं पनडुब्बी बनाते वक्त यह प्रौद्योगिकी पूरी तरह तैयार नहीं हो पाएगी।

अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “प्रौद्योगिकी के विकास का काम चल रहा है। संभव है कि पांचवीं पनडुब्बी में यह न लग पाए। हमें हालांकि छठी में इसके लग पाने की उम्मीद है।”

उन्होंने कहा कि दूसरा विकल्प यह है कि पांचवीं पनडुब्बी में यह प्रौद्योगिकी बाद में लगा दी जाए।

एआईपी प्रणाली का विकास महाराष्ट्र के नैवल मैटेरियल्स रिसर्च लैबोरेटरी (एनएमआरएल) में किया जा रहा है। यह एक ईंधन बैटरी है, जो पारंपरिक पनडुब्बियों में डीजल की जगह ले लेगा। बैटरी मीथेनॉल जैसे पदार्थ से हाइड्रोजन निकालेगा और उससे बिजली बनाएगी।

डीजल इंजन को काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। नई प्रणाली को हालांकि वायु से कोई वास्ता नहीं होगा। नई प्रणाली से शोर भी कम होगा, जिससे पनडुब्बी खुद को छिपाने में पहले से अधिक सक्षम हो जाएगी।

एक पारंपरिक पनडुब्बी को हर तीन-चार दिन में ऑक्सीजन लेने के लिए सतह पर आना होता है, लेकिन नई प्रणाली से यह दो सप्ताह तक पानी के भीतर रह सकेगी।

नई प्रौद्योगिकी के विकास में 50 हजार करोड़ रुपये (सात अरब डॉलर) खर्च होंगे।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की नौसेना की पनडुब्बियां एआईपी से लैस हैं, जिन्हें फ्रांस से खरीदा गया है।

भारत ने 2005 में फ्रांस को तीन अरब डॉलर में छह पनडुब्बियों के लिए ठेका दिया था। इनका निर्माण मुंबई के मझगांव डॉक में फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के साथ मिलकर किया जा रहा है।

इनकी आपूर्ति पहले 2012 से 2016 के बीच होनी थी।

परियोजना चार साल के विलंब से चल रही है और पहली पनडुब्बी ‘आईएनएस कलवारी’ को 2016 में नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।

अधिकारी ने कहा कि दो और पनडुब्बियां भी लगभग तैयार हैं।

नौसेना के पास अभी अधिकांश पनडुब्बियां सोवियत युग की हैं और उन्हें अपनी निर्धारित जीवन अवधि पूरी करने के बाद भी काम में लाया जा रहा है। इनमें से कुछ में गंभीर दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई मौतें भी हो चुकी हैं।

एआईपी प्रौद्योगिकी 6 में से अंतिम पनडुब्बी में लग पाएगी Reviewed by on . नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएनएस)। देश में विकसित हो रही एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रौद्योगिकी देश में निर्मित हो रही छह पनडुब्बियों में से अंतिम में लगाई नई दिल्ली, 19 जुलाई (आईएएनएस)। देश में विकसित हो रही एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रौद्योगिकी देश में निर्मित हो रही छह पनडुब्बियों में से अंतिम में लगाई Rating:
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