नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)। सरकार ने जहां मुंबई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट रेलगाड़ी के लिए जापान के साथ 98 हजार करोड़ रुपये का समझौता किया है, वहीं देश में एक्सप्रेस रेलगाड़ियां आम तौर पर और खास तौर पर ठंड के मौसम में देरी से चला करती हैं।
नई दिल्ली, 27 दिसम्बर (आईएएनएस)। सरकार ने जहां मुंबई और अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट रेलगाड़ी के लिए जापान के साथ 98 हजार करोड़ रुपये का समझौता किया है, वहीं देश में एक्सप्रेस रेलगाड़ियां आम तौर पर और खास तौर पर ठंड के मौसम में देरी से चला करती हैं।
माल और यात्री गाड़ियों के लिए अलग-अलग पटरियों के न होने और पुरानी रेल संरचना के कारण आम तौर पर एक्सप्रेस रेलगाड़ियों के परिचालन में देरी हुआ करती है। ठंड के दौरान कुहासे के कारण इसमें और अधिक देरी होती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, पटरी, प्रकाश और सिग्नल अवसंरचना में निवेश किए बिना अच्छे मौसम में भी रेलगाड़ियों का समयबद्ध परिचालन कठिन होगा।
पूर्व रेल मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि समर्पित माल ढुलाई गलियारा शुरू किए बिना रेलगाड़ियों के समयबद्ध परिचालन में निवेश के लिए धन उपलब्ध नहीं हो सकता।
त्रिवेदी ने आईएएनएस से कहा, “रेलवे वित्तीय संकट से गुजर रहा है और इसका संचालन अनुपात 110 फीसदी है। हमारे पास पुरानी संपत्तियों (पटरी, सिग्नल, लोकोमोटिव) को बदलने के लिए भी पर्याप्त धन नहीं है।”
उन्होंने कहा कि वह बुलेट के विरुद्ध नहीं है, लेकिन रेलवे को हर वर्ष 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।
उन्होंने कहा, “यदि मैं रेल मंत्री होता, तो समर्पित माल ढुलाई गलियारे पर अधिक खर्च करता। इससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। बुलेट रेलगाड़ी से सिर्फ जापान को फायदा होगा।”
आईएएनएस द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, एक्सप्रेस रेलगाड़ियां 14 मिनट से लेकर सात घंटे की देरी से चला करती हैं।
मुंबई सेंट्रल-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस के परिचालन में 20 दिसंबर को 15 मिनट, 21 दिसंबर को 20 मिनट और 22 दिसंबर को 25 मिनट की देरी हुई। वहीं, कर्नाटक एक्सप्रेस (बेंगलुरू सिटी-नई दिल्ली) के परिचालन में 20 दिसंबर को दो घंटे 25 मिनट, 21 दिसंबर को ढाई घंटे और 22 दिसंबर को दो घंटे 41 मिनट की देरी हुई।
इसी तरह देश की कई और रेलगाड़ियों के परिचालन में भी देरी हुई।
कई रेलगाड़ियां कोहरे के कारण रद्द भी हुईं।
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने दो दिसंबर को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि मेल/एक्सप्रेस रेलगाड़ियों की समयबद्धता 2013-14 के 83 फीसदी से घटकर 2015-16 (अक्टूबर तक) में 78 फीसदी रह गई, जो 2014-15 में 79 फीसदी थी।