Friday , 17 May 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » धर्म-अध्यात्म » “एक औघड़ लीक से हटकर”-29 नवम्बर अघोरेश्वर भगवान् राम जी के महानिर्वाणदिवस पर्व पर विशेष

“एक औघड़ लीक से हटकर”-29 नवम्बर अघोरेश्वर भगवान् राम जी के महानिर्वाणदिवस पर्व पर विशेष

November 29, 2015 10:36 am by: Category: धर्म-अध्यात्म Comments Off on “एक औघड़ लीक से हटकर”-29 नवम्बर अघोरेश्वर भगवान् राम जी के महानिर्वाणदिवस पर्व पर विशेष A+ / A-

photo

(धर्मपथ)-कहते हैं त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम को महर्षि विश्वामित्र ने पतित-पावनी गंगा और सोनभद्र से घिरी हुई धरती पर शिक्षा दी थी.इसी पवित्र भूमि पर,गुंडी ग्राम में,सूर्यवंशियो में स्वनाम धन्य बाबू बैजनाथ सिंह और माता श्रीमती लखराजीदेवी के पुत्र के रूप में परमपूज्य अघोरेश्वर का अवतरण श्री शुभ सप्तमी,रविवार को हुआ.आपके पितामह स्व. बाबू ह्रदय प्रसाद सिंह थे.बालक के अलौकिक क्रियाकलापों को देखकर परिवार वालों ने आपका नाम भगवान् रखा.यही भगवान् आगे चलकर औघड़ भगवान् राम हैं.

सात वर्ष की अल्प -आयु से ही बालक भगवान् सांसारिकता से विरक्त हो गए थे.सोनभद्र तथा गंगा के तटों के सामीप्य के कारण संतों का सत्संग आपको शैशव काल से ही प्राप्त होता रहा .गंगा और सोनभद्र के तटों पर,विन्ध्याचल के वनों और पर्वतों में आप साधनारत रहे,विचरते रहे.काशी, गया जगन्नाथपुरी और विन्ध्याचल के तीर्थों में,गंगा की कछारों पर स्थित श्मशानों में आप साधना-रत रहे.काशी स्थित कीनाराम स्थल में आपने अघोर दीक्षा ली.

प्रत्यक्ष रूप से,समाज से आपका संपर्क सन 1961 से हुआ,जब आपने 21 सितम्बर सन 1961 को श्री सर्वेश्वरी समूह संस्था की स्थापना की और दलितों,उपेक्षितों एवं असहायों की सेवा का व्रत लिया .कुष्ठ सेवा आश्रम की स्थापना,बीमारों की सेवा,असहाय लड़कियों का विवाह आदि के अनेक सेवा-कार्यक्रम आपके द्वारा प्रतिपादित हुए.अनेक स्थानों पर लोक-मंगल के कार्यक्रमों के सम्पादन के लिए आपने आश्रमों की स्थापना की.

अफगानिस्तान,ईरान,नेपाल,भूटान,संयुक्त-राज्य अमेरिका,मेक्सिको तथा इटली,स्विट्जर्लैंड तथा यूरोप कई देशों में,भक्तों के आग्रह पर तथा सेवा-व्रत के समय अपने अनुष्ठान के सन्देश के निमित्त आपने भ्रमण किया.

वर्तमान समय में श्री सर्वेश्वरी समूह के माध्यम से,उन्नीस सूत्रीय कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं .कर्म-काण्ड और औपचारिकता से,प्रत्यक्ष सेवा को आपने अधिक महत्व दिया.

औघड़-अघोरेश्वरों की परंपरा को समाज के साथ आपने पहली बार सम्बंधित किया है.इसलिए “एक औघड़ लीक से हटकर “की संज्ञा आपको दी जाती है.जानकारों के अनुसार,किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति  के लिए आप अवतरित हुए हैं.संभवतः अध्यात्म-जगत के इन महँ-विभूति को ,विश्वास और उनकी कृपा से ही जाना जा सकता है.अपनी समझ में तो ऐसा लगता है की अपनी पात्रता जैसी होगी उतनी ही मात्र में ,इस चिर प्रवाहित गंगा में गंगाजल प्राप्त कर सकते हैं.

29 नवम्बर अघोरेश्वर भगवान् के महानिर्वाण दिवस पर “धर्मपथ” उन्हें प्रणाम करता है एवं उनके आशीष की छाया चाहता है.सनातन प्रमाण  है संत हमेशा यहीं रहते हैं चाहे शरीर में हो या नहीं.

“एक औघड़ लीक से हटकर”-29 नवम्बर अघोरेश्वर भगवान् राम जी के महानिर्वाणदिवस पर्व पर विशेष Reviewed by on . [box type="info"](धर्मपथ)-कहते हैं त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम को महर्षि विश्वामित्र ने पतित-पावनी गंगा और सोनभद्र से घिरी हुई धरती पर शिक्षा दी थी.इस [box type="info"](धर्मपथ)-कहते हैं त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम को महर्षि विश्वामित्र ने पतित-पावनी गंगा और सोनभद्र से घिरी हुई धरती पर शिक्षा दी थी.इस Rating: 0
scroll to top