नई दिल्ली, 10 मई (आईएएनएस)। पूंजीगत लाभ पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) के मुद्दे पर समाधान, कमजोर तिमाही नतीजे, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रुपये के मूल्य में गिरावट की वजह से विदेशी निवेशकों ने आठ मई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारतीय शेयर बाजारों से नकदी निकाली।
आठ मई को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध बिकवाली की। उन्होंने शेयर बाजार में 1.02 अरब डॉलर यानी 6,553.44 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
नेशनल सिक्युरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इस समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान प्राथमिक और अन्य बाजारों में 30.1 लाख डॉलर यानी 18.77 करोड़ रुपये का निवेश किया।
30 अप्रैल को समाप्त पिछले सप्ताह के दौरान, एफपीआई ने 72.577 करोड़ डॉलर यानी 4,603.14 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इस समय विदेशी निवेशकों ने प्राथमिक और अन्य बाजारों में 12.1 लाख डॉलर यानी 8.07 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
विश्लेषकों के मुताबिक, विदेशी निवेशक पूंजीगत लाभ पर एमएटी मुद्दे के बारे में जानने के इच्छुक थे।
जायफिन एडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नेवगी ने आईएएनएस को बताया, “एमएटी मुद्दे, चौथी तिमाही के कमजोर नतीजों, कच्चे तेल की बढ़ रही कीमतों और अमेरिका के नॉन-फॉर्म रोजगार के आंकड़ों में वृद्धि से विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालने शुरू कर दिए हैं।”
उन्होंने कहा, “हालांकि छोटी अवधि में बेशक निवेशक बाजार से बाहर निकल जाएं, लेकिन पेंशन और एंडाउमेंट फंड जैसे लंबी अवधि के निवेशक अभी भी भारतीय बाजार में निवेश करना चाहते हैं।”
वैश्विक रेटिंग एजेंसी ‘फिच’ का कहना है कि यदि सरकार ने न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) मुद्दे को जल्द नहीं सुलझाया तो पूंजीगत लाभ पर एमएटी की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजारों से दूरी बना सकते हैं।
फिच के निदेशक थॉमस रूकमेकर ने आईएएनएस को ई-मेल के जरिए दिए अपने बयान में कहा, “इससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भविष्य में घरेलू बाजार में निवेश करने में दो बार सोचना पड़ सकता है। हालांकि अपने समकक्षों की तुलना में भारत का मजबूत विकास परिदृश्य निवेशकों को आकर्षित कर सकता है।”
उन्होंने कहा, “हाल के कुछ सप्ताहों में बाजार में शुद्ध विदेशी निवेशक निवेश से बाहर निकले हैं।”
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में कहा था कि मंत्रालय ने विदेशी फंड के साथ पैदा हुए न्यूनतम वैकल्पिक कर विवाद से संबंधित मुद्दे को विधि आयोग के अध्यक्ष ए.पी.शाह की अध्यक्षता वाली एक समिति के पास भेजने का निर्णय लिया है और उस पर जल्द सुझाव देने का आग्रह किया गया है।
कोटक सिक्युरिटीज के वरिष्ठ प्रबंधक अनिंद्य बनर्जी ने आईएएनएस को बताया कि एमएटी मुद्दे को छोड़कर यूरो बॉन्ड यील्ड, अमेरिकी नॉन-फॉर्म रोजगार जैसे अंतर्राष्ट्रीय कारकों की वजह से भारत में एफपीआई का निवेश बना रह सकता है।