वाशिंगटन, 24 फरवरी (आईएएनएस)। अमेरिकी सीनेट के रिपब्लिकन नेताओं ने राष्ट्रपति बराक ओबामा से टकराव का मंच तैयार कर दिया है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए जारी संघर्ष के बीच इन नेताओं ने संकल्प लिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के दिवंगत न्यायाधीश के स्थान पर ओबामा के पसंदीदा न्यायाधीश की नियुक्ति का समर्थन नहीं करेंगे।
डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता इस पर बाधा डालने वाले कदम से नाराज हैं। इस अपूर्व कदम से अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और रिपब्लिकनों के नियंत्रण वाले सदन के बीच एक बड़े टकराव का मंच तैयार हो गया है।
सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैक्कोनेल ने मंगलवार को कहा, “मैं अब विश्वास के साथ कह सकता हूं कि मेरी बैठक में लगभग हर व्यक्ति ने जो विचार व्यक्त किया वह यह है कि नियुक्ति का कार्य उस राष्ट्रपति को करना चाहिए जो जनता से चुना गया हो और उसकी प्रक्रिया अभी चल रही है।”
उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं को नाराज करते हुए कहा, “संक्षेप में कहें, तो सीनेट की कोई कार्रवाई नहीं होगी।”
ओबामा ने कहा है कि वह दिवंगत न्यायाधीश एंटोनिन स्कालिया के स्थान पर नौ सदस्यीय पीठ में एक न्यायाधीश नियुक्त करना चाहते हैं। उनकी अपेक्षा है कि सीनेट की बैठक हो और वोट के जरिए नए न्यायाधीश की नियुक्ति की जाए। लेकिन रिपब्लिकन नेताओं ने कहा है कि यह नियुक्ति अगले राष्ट्रपति को करना चाहिए।
स्कालिया की 13 फरवरी को मौत हो गई थी। इससे नौ न्यायाधीशों की पीठ में अब लिबरल और कंजरवेटिव न्यायाधीशों की संख्या 4-4 में बंट गई है।
सीनेट की न्यायिक कमेटी ने सीनेट के नेता को एक पत्र भेजा कि ओबामा जब तक पद नहीं छोड़ते, तब तक कोई सुनवाई नहीं होगी। उसके तत्काल बाद मैक्कोनेल ने यह टिप्पणी की।
इस कदम की आलोचना करते हुए सीनेटर और अल्पसंख्यकों के उपनेता डिक डर्बिन ने कहा, “सीनेटर मैक्कोनेल और रिपब्लिकन नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह करने नहीं जा रहे हैं।”
“ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ..कभी नहीं..और अब मैक्कोनेल ऐसा करके इसका श्रेय लेने जा रहे हैं।”
सुप्रीम कोर्ट में जो महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं, उनमें गर्भपात की मंजूरी का मामला भी है। ओबामा की एक नीति बिना दस्तावेज के अमेरिका में रहने वाले उन आप्रवासियों को उनके देश भेजने से रोकने से संबंधित है, जिनके बच्चे अमेरिकी नागरिक हैं या कानूनी ढंग से निवासी हैं।
यदि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का मत 4-4 में बंट जाता है तो निचली अदालत का फैसला लागू रहेगा। लेकिन वह पूरे अमेरिका के लिए आधिकारिक फैसला नहीं माना जाएगा।