Friday , 3 May 2024

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कलेक्टर की आदेश की अवहेलना की जिला पंचायत सीईओ ने – निलंबन के 8 दिन बाद भी जांच की फाईल नही बढ़ी आगे

banner_hindiअनिल श्रीवास्तव–झाबुआ —- गत 10 अप्रैल को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत डीपीसी कार्यालय से आवेदक पत्रकार संतोश रूनवाल को 30 दिवस में जानकारी नहीं दी जाने के कारण अपीलिय अधिकारी कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी बी.चन्द्रशेखर बोरकर ने अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने एवं वरिष्ठ के आदेशों की अवहेलना करने के कारण अमित परमार को सिविल सेवा आचरण नियम के अनुसार निलंबित कर विभागीय जांच संबंधी आदेश पारित किया था तथा कार्यवाही के लिये मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत झाबुआ को जांच हेतु आदेशित कर प्रतिवेदन 7 दिवस में प्रस्तुत करने के लिये निर्देशित किया था। लेकिन जिला पंचायत सीईओ साहब शायद कलेक्टर से भी बड़े वाले निकलें। कलेक्टर श्री बोरकर के आदेश निर्देश की अवहेलना करते हुए 8 दिवस के बाद भी जिला पंचायत सीईओ द्वारा लिपिक परमार के निलंबन आदेश एवं जांच को लेकर कोई कार्यवाही नही की गई, जबकि कलेक्टर द्वारा 10 अप्रैल को आदेशित कर प्रतिवेदन 7 दिवस में प्रस्तुत करने के लिए कहा था, उसके बाद भी जिला पंचायत सीईओ साहब द्वारा कोई कार्यवाही नही की गई।
कलेक्टर श्री बोरकर के आदेश निर्देश भी क्या हवा हवाई होंगें ?
ज्ञातव्य हैं कि उक्त लिपिक अमित परमार रामा से अटैच होकर विगत 4-5 वर्शाे से झाबुआ में पदस्थ हैं। उक्त लिपिक की विभिन्न शिकायतो को लेकर पूर्व कलेक्टर शोभित जैन द्वारा लिपिक अमित परमार को पूर्व में दिनांक 27/7/2011 को पत्र क्रमांक/स्था./2011/3518 से सहायक ग्रेड -3 अमित परमार को मूल पदस्थापना स्थल खंड शिक्षा कार्यालय रामा के लिए कार्यमुक्त करने का आदेश दिया था। उक्त आदेश के करीब 3 वर्श बीत जाने के बाद भी लिपिक अमित परमार जिला पंचायत सीईओ साहब जैसे अधिकारियो की मेहरबानी के चलतें आज भी झाबुआ में अटैच होकर अंगद के पैर की तरह जमा हुआ हैं। ऐसे सवाल यह उठता हैं कि पूर्व कलेक्टर के आदेश निर्देश को हवा में घोल के पी गया लिपिक अमित परमार अब कलेक्टर श्री बोरकर के भी आदेश निर्देशो को हवा में उड़ा देगा क्या ?
कलेक्टर द्वारा तो संस्पेंड कर विभागीय जांच संबंधी आदेश पारित कर दिया एवं कार्यवाही के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी को प्रेशित कर दिया, लेकिन सीईओ ने कलेक्टर श्री बोरकर के आदेश निर्देश को हवा में उड़ाते हुए इस मामले में कोई कार्यवाही नही की। जांच प्रतिवेदन बनाना तो दूर जांच के संबंध में डीपीसी कार्यालय को किसी भी प्रकार पत्राचार तक नही किया। इससे ही स्पश्ट हैं कि जिला पंचायत सीईओ कलेक्टर को किस तरह नीचा दिखा रहे हैं ? इस संबंध में डीपीसी श्री कुड़े से दूरभाश से चर्चा की गई तो उन्होने भी बताया कि कलेक्टर द्वारा निलंबित लिपिक अमित परमार के निलंबन एवं जांच के संबंध सीईओ द्वारा डीपीसी कार्यालय में किसी भी प्रकार का पत्र नही आया।
निलंबन के बाद भी कार्यवाही नही करना दाल में काला
सवाल यह उठता हैं कि सीईओ साहब के सामने कलेक्टर श्री बोरकर की भी शायद नही चलतीं, इसीलिए एक कलेक्टर के भी आदेशो निर्देशो धज्जियां कर दी। वहीं कलेक्टर द्वारा निलंबन करने के बाद भी डीपीसी कार्यालय को जांच एवं निलंबन संबंधी कोई कार्यवाही नही करना जिला पंचायत सीईओ को भी संदेह में घेरता हैं। उक्त मामले में जिला पंचायत सीईओ साहब द्वारा कार्यवाही नही करना दाल में कुछ काला प्रदर्शित करता। इसी के चलतें अभी तक निलंबन तथा जांच के संबंध में किसी भी प्रकार की कार्यवाही आगे नही बढ़ी। उक्त मामले में सीईओ साहब द्वारा कोई कार्यवाही नही की जाना लिपिक परमार एवं सीईओ की मिलीभगत को भी प्रदर्शित करता हैं, जिसके चलतें कलेक्टर द्वारा निलंबित करने के बाद भी लिपिक अमित परमार के खिलाफ कोई कार्यवाही आगे नही बढ़ रही ?
इनका कहनाः-
इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ साहब से बात की गई तो उन्होने कहा कि कलेक्टर द्वारा तो निलंबित कर दिया, मेरे द्वारा आगे कार्यवाही कर दी जाएगी।
कलेक्टर की आदेश की अवहेलना की जिला पंचायत सीईओ ने – निलंबन के 8 दिन बाद भी जांच की फाईल नही बढ़ी आगे Reviewed by on . अनिल श्रीवास्तव--झाबुआ ---- गत 10 अप्रैल को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत डीपीसी कार्यालय से आवेदक पत्रकार संतोश रूनवाल को 30 दिवस में जानकारी नहीं दी जान अनिल श्रीवास्तव--झाबुआ ---- गत 10 अप्रैल को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत डीपीसी कार्यालय से आवेदक पत्रकार संतोश रूनवाल को 30 दिवस में जानकारी नहीं दी जान Rating:
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