देश में कृषि भूमि का कुल रकबा घट रहा है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार द्वारा एक विवादास्पद भूमि विधेयक को पारित कराने की कोशिश यदि सफल रहती है, तो इसमें और तेजी से गिरावट दर्ज की जाने की उम्मीद है, जिसका विपक्ष हालांकि विरोध कर रहा है।
विधेयक में सर्वाधिक विवादास्पद प्रावधान है 70 फीसदी अनिवार्य सहमति के दायरे से पांच श्रेणियों की परियोजनाओं को बाहर निकालना। ये श्रेणियां हैं औद्योगिक गलियारा, सार्वजनिक-निजी साझेदारी परियोजना, ग्रामीण अवसंरचना, सार्वजनिक आवासीय और रक्षा परियोजना।
इंडियास्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक देश में गत 25 साल में सिंचित भूमि का रकबा 15 फीसदी घटा है। यही नहीं इस पर और भी दबाव पैदा हो रहा है, क्योंकि औद्योगीकरण के लिए और भूमि की जरूरत होगी।
कृषि भूमि का आकार 1987-88 के करीब 87 फीसदी से घटकर 2011-12 में 72 फीसदी रह गया है।
फाउंडेशन फॉर एग्रेरियन स्टडीज द्वारा सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) के आंकड़ों के किए गए अध्ययन के मुताबिक गांवों में हर घर के पास मौजूद खेत का आकार घटने और हर घर के पहले से कम सदस्यों के कृषि पर निर्भर रहने के कारण कृषि भूमि का आकार घटा है।
अध्ययन के मुताबिक कृषि भूमि के घटने के साथ-साथ देश की अनाज उपलब्धता में भी गिरावट आई है। देश की एक बड़ी समस्या है कम उपलब्धता। गत चार दशकों में अनाज की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 471.8 ग्राम से घटकर 453.6 ग्राम रह गई है।
हालांकि देश की कृषि का कुछ सकारात्मक पहलू भी है। वह है उपज। इसमें निरंतर सुधार आ रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण में प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक 1980-81 में यह 1,023 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर था जो 2013-14 में बढ़कर 2,101 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गया।
तिलहन के मामले में यह 532 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 1,153 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गया। साथ ही कपास के मामले में यह 152 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 532 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गया।
इस तरह अनाजों की उपज 1980-81 से 2013-14 के बीच बढ़कर करीब दोगुनी हो गई है। इस बीच तिलहन की उपज 116 फीसदी और कपास की 250 फीसदी बढ़ी है।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक कृषि भूमि घटने के बाद भी भारत खाद्य फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक है। विभिन्न फसलों में इसकी कुल उपज हालांकि कम है।
उदाहरण के तौर पर तिलहन के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। पांच सबसे बड़े उत्पादकों के बीच उपज के मामले में यह पांचवें स्थान पर है। मोटे अनाज के मामले में भी भारत का स्थान क्रमश: चौथा और पांचवां हैं।
(इंडियास्पेंड डॉट ऑर्ग के साथ हुए समझौते के तहत। यह एक गैर लाभकारी पत्रकारिता मंच है, जो जनहित में काम करता है।)