नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक पीआईएल पर तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और अन्य के धरने को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने के लिए दाखिल एक याचिका पर तेजी के साथ सुनवाई करे।
न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा की अवकाश पीठ ने कहा कि मामले पर सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद अदालत के दोबारा से खुलने के पहले दिन होगी। वहीं पीआईएल याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील शशांक देव सुधी ने अदालत को बताया कि यहां एक संवैधानिक संकट और खालीपन है। साथ ही प्रशासन अपंग हो चुका है।
पीआईएल याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सुधी और वकील हरिनाथ राम ने अवकाश पीठ को बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष मामले को सोमवार (18 जून) को सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन अदालत ने इस पर 22 जून को सुनवाई के लिए टाल दिया।
उच्च न्यायालय को तुरंत मामले की सुनवाई का आदेश देने की मांग करते हुए सुधी ने पीठ को बताया कि राजनेता कानून से बड़े नहीं हैं और यहां कानून के शासन को नुकसान पहुंचने का खतरा है।
उन्होंने अदालत के पहले वाले आदेश को संदर्भित किया, जिसमें हड़ताल को अवैध करार दिया गया था।
वकील ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय के समक्ष आग्रह किया है कि दिल्ली सरकार में सेवारत नौकरशाहों द्वारा हड़ताल पर परस्पर-विरोधी दावों के लिए उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के खिलाफ झूठ बोलने की कार्यवाही शुरू की जाए।