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कोलकाता फिल्मोत्सव में छाए रहे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे

कोलकाता, 23 नवंबर (आईएएनएस)। सितारों की चमक और विश्व सिनेमा की हलचल के बावजूद कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (केआईएफएफ) में घातक पेरिस हमलों की छाया दिखाई दी। इसके साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

कोलकाता, 23 नवंबर (आईएएनएस)। सितारों की चमक और विश्व सिनेमा की हलचल के बावजूद कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (केआईएफएफ) में घातक पेरिस हमलों की छाया दिखाई दी। इसके साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

संयोग से फिल्म समारोह घातक हमलों के 24 घंटों बाद ही 14 नवंबर को शुरू हुआ।

सादगी भरे उद्घाटन समारोह में पेरिस और बेरूत हमलों के पीड़ितों के लिए एक मिनट का मौन रखा गया। उद्घाटन समारोह में मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने दुनिया का बंटवारा करते सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के मद्देनजर लोगों से बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए सिनेमा की अहमियत पर जोर दिया।

समारोह का सार एकजुटता और सांप्रदायिक पूर्वाग्रहों को दूर रखने पर रहा।

ट्यूनीशियाई फिल्म ‘एज आई ओपन्ड माई आईज’ के निर्माताओं में से एक फ्रांसीसी महिला सांद्रा द फोन्सेका ने कहा, “हमलों के समय मैं पेरिस में थी। यह बेहद दुखद है। मैंने कई मित्रों को खो दिया। इसके बारे में बात करना मुश्किल है।”

नेटपेक अवॉर्डस के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष, सीरिया में जन्मे पेरिस के नदा अजहरी ने इस अराजकता के बीच सिनेमा की शांति के संदेश की मौजूदगी के लिए आभार जताया।

नदा ने कहा, “मुझे जब पेरिस हमलों के बारे में पता चला तब मैं कोलकाता पहुंचा ही था। मुझे लगा शुक्र है कि सिनेमा मौजूद है।”

2016 ऑस्कर पुरस्कार के लिए भारतीय प्रविष्टि मराठी फिल्म ‘अदालत’ की प्रशंसा करते हुए अजहरी ने आशा व्यक्त की कि फिल्मकारों की नई पौध फिल्मों के जरिये अपने तरीके से चरमपंथ के बारे में बात करेगी।

‘द पैशन ऑफ ऑग्स्टाइन’ के कनाडाई फ्रांसीसी निर्माताओं ने कहा, “बर्बरता के ऐसे कृत्यों पर दुनियाभर का ध्यान जाना चाहिए। अमेरिका, मुंबई और नाइजीरिया में हुए हमलों को इतना ध्यान नहीं मिला जितना कि पेरिस हमलों को मिला है।”

अरब देशों की महिलाओं की ओर से यमन की पहली महिला निर्देशक मानी जाने वाली पेरिस की खादिजा अल सलामी ने कहा कि बम धमाके और गोलीबारी ब्रेन वॉश यानी सोच को पूरी तरह बदल देने का नतीजा है, क्योंकि हमलावर फ्रांसीसी और बेल्जियम मूल के थे।

अजहरी ने उग्रवाद से निपटने के लिए शिक्षा के महत्व पर बल दिया और कहा कि यह घटना और अधिक युवाओं को सिनेमा के माध्यम से चरमपंथ और कट्टरवाद पर बातचीत शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

सप्ताह भर के इस समारोह में समारोह के हब ‘नंदन कॉॅम्प्लेक्स’ में भी पेरिस हमलों की चर्चाएं हुईं।

इस बीच यहां भारत-पाकिस्तान के रिश्ते भी चर्चा का केंद्र रहे।

पाकिस्तानी फिल्म ‘मंटो’ के निर्माताओं ने कहा कि दोनों ही देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।

केआईएफएफ में बेहतरीन फिल्मों के प्रदर्शन के बीच सभागारों के ठसाठस भरने और कई लोगों को प्रवेश न मिल पाने जैसी मामूली गड़बड़ियां भी रहीं।

कई फिल्म छात्रों ने स्क्रीन्स की कमी की शिकायत की और इस बार के 12 स्क्रिनिंग स्थलों की जगह अगले वर्ष इनकी संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई।

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आयोजित सप्ताह भर के इस समारोह में 61 देशों की 149 फिल्में प्रदर्शित की गईं।

कोलकाता फिल्मोत्सव में छाए रहे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे Reviewed by on . कोलकाता, 23 नवंबर (आईएएनएस)। सितारों की चमक और विश्व सिनेमा की हलचल के बावजूद कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (केआईएफएफ) में घातक पेरिस हमलों की छाया दिखाई कोलकाता, 23 नवंबर (आईएएनएस)। सितारों की चमक और विश्व सिनेमा की हलचल के बावजूद कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह (केआईएफएफ) में घातक पेरिस हमलों की छाया दिखाई Rating:
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