इन पुस्तकालयों का मकसद गांव के युवाओं को बिना शहर का मुंह देखे उनके गांव में ही नॉलेज बैंक मुहैया कराना है। खीरी जिले में 15 पंचायतघरों में लाइब्रेरी खुल चुकी है तो कई ग्राम पंचायतों में खोलने की तैयारी है।
पंचायतघरों को नॉलेज बैंक के रूप में तब्दील करने की पहल खीरी में सीडीओ के पद पर तैनात आईएएस अधिकारी नीतीश कुमार ने की, पर उनकी पहल ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी लुभा लिया। युवाओं का कैरियर संवारने और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनके लाइब्रेरी मॉडल का पूरा ब्योरा शासन ने मांग लिया है।
कवायद यह है कि नॉलेज बैंक की यह पहल सिर्फ खीरी तक ही नहीं सिमटे, बल्कि इसे बाकी जिलों में भी लागू किया जाए।
पंचायती राज व्यवस्था में ग्राम पंचायतांे को मजबूत करने की मंशा में गांवों में लाखों रुपये की लागत से पंचायत घर बनाए गए, पर इनका वास्तविक इस्तेमाल कभी हुआ ही नहीं। नतीजतन, तमाम पंचायतघर कबाड़ घरों में तब्दील हो गए तो कई जगह इनका इस्तेमाल भूसा रखने या जानवरांे को बांधने के लिए होने लगा। गांवों के भ्रमण कार्यक्रमों के दौरान सीडीओ नीतीश कुमार की निगाह इस पहलू पर गई।
सीडीओ कुमार ने बताया, “मैंने पंचायतघरों में लाइब्रेरी खोलने की पहल की। पहले चरण में जिले की 15 ग्राम पंचायतों में लाइब्रेरी खोली गई है। अन्य ग्राम पंचायतों में भी लाइब्रेरी खोलने की व्यवस्था चल रही है।”
उन्होंने कहा, “लाइब्रेरी न होने और किताबें खरीदने में असमर्थ गांवों के युवा कम्पिटीशन की तैयारियों के लिए बड़े शहरांे को भागते थे। युवाओं की इस दिक्कत को दूर करने लिए ही मैंने यह विशेष पहल शुरू की। हमारे तीन महीने की मेहनत अब रंग लाई।”
पंचायतघरों में पुस्तकालय खुलने से गांवों के युवाओं में काफी उत्साह है। वे कहते हैं, “यह बहुत अच्छी पहल है। अब हमारे गांव में पढ़ाई का माहौल बनेगा।”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।