न्यूयॉर्क, 15 मार्च (आईएएनएस)। दुनिया भर में बढ़ता तापमान न केवल मौसम प्रणाली में बदलाव कर रहा है बल्कि यह उतने ही महत्वपूर्ण तरीके से भूमंडल पर जल वितरण प्रणाली को भी बदल रहा है। इसलिए पेयजल की उपलब्धता प्रभावित हो रही है। यह बात एक नए अध्ययन में कही गई है।
अध्ययन में शामिल अमेरिका स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क कॉलेज ऑफ एनवायर्मेटल साइंस एवं फॉरेस्ट्री के प्रोफेसर मेरॉन मिशल ने कहा, “इस अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन स्थानिक ढांचे व वाष्पीकरण की मात्रा को बदल रहा है। इससे यह भी पता चल रहा है कि यह कहां से आ रहा है और यह कहां गिर रहा है।”
उन्होंने कहा, “ऐसे प्रभाव जबरदस्त तरीके से पेयजल की उपलब्धता को प्रभावित करते हैं। ये भयंकर बाढ़ में भी ये अपना योगदान करते हैं। हाल के वर्षो में हम ऐसी बाढ़ देख भी चुके हैं।”
अध्ययन का यह निष्कर्ष साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने अमेरिका स्थिति न्यू हैंपशायर के हुबार्ड ब्रूक एक्सपेरिमेंटल फॉरेस्ट में जमा किए गए 40 साल से भी अधिक पुराने जल के नमूनों का विश्लेषण किया।
उन्होंने पाया कि साल दर साल एक नाटकीय अंदाज में सुदूर उत्तर से आ आने वाले जल में वृद्धि हो रही है, खासकर जाड़े के दिनों में जो पानी रहा है।
इस अध्ययन रिपोर्ट के प्रमुख लेखक स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क के तामिर पुंटसैग ने कहा, “बाद के वर्षो में हम लोगों ने देखा कि उत्तर ध्रुवीय एवं उत्तरी अटलांटिक सागरों से अधिक पानी वाष्पीकरण से उत्पन्न हुआ।”
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, दुनिया की 85 फीसद आबादी इस भूमंडल के सबसे सूखे आधे इलाके में रहती है। 78 करोड़ 30 लाख लोगों को स्वच्छ जल नसीब नहीं है। इसलिए वैज्ञानिकों एवं नीति निर्माताओं के लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि बदलते जलवायु का किस तरह से जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ रहा है।