इस चट्टान का नमूना नवनिर्मित ज्वालामुखी ‘जि वी’ का है, जिसे दिसंबर 2013 में चांग्स 3 खोजी यान के साथ रोवर (युटू) ने भेजा था।
चट्टान की संरचना के माप यह संकेत देते हैं कि ‘बेसाल्ट’ चट्टान टाइटेनियम डाइऑक्साइड और ओलीवाइन से भरपूर है। इस ‘बेसाल्ट’ को लेकर चीन और अमेरिका के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अपोलो और लूना मिशन द्वारा एकत्र नमूनों से विशिष्ट है।
इस आधार पर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग तीन अरब साल पहले चंद्रमा के विकास के दौरान यह क्षेत्र मैग्मा (पृथ्वी के नीचे स्थित तरल पदार्थ) से घिरा हुआ था। वहीं अपोलो और लूना मिशन द्वारा प्राप्त चट्टानों के नमूने तीन-चार अरब साल पहले के मैग्मा के प्रांरभिक अवस्था के हैं।
यह माप रोवर ‘एक्टिव पार्टिकल-प्रेरित एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (एपीएक्सएस) ने किया है और इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (वीएनआईएस) द्वारा दिखाया गया है।
इस अध्ययन के बारे में पत्रिका में कहा गया है, “लैंडिंग साइट की रासायनिक और खनिज विज्ञान संबंधी यह जानकारी चांद पर सबसे नवीनतम (कम उम्र के) ज्वालामुखियों के अध्ययन की जमीन तैयार करेगी।
युटू रोवर को वर्ष दिसंबर 2013 में भेजा गया था। इसे तीन महीने तक चंद्रमा की सतह पर घूमकर प्राकृतिक संसाधनों के अध्ययन की जानकारी पृथ्वी पर भेजनी थी।
वर्ष 2014 में कुछ प्राकृतिक समस्याओं की वजह से यह जानकारी भेजने में असमर्थ हो गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने उसके बाद भी इसे जानकारी भेजने के लिए सक्षम बनाया था।
चीन और संयुक्त राज्य के वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा किया गया यह अध्ययन ‘नेचर कम्यूनिकेशन’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।