रायपुर, 9 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ में तीन पीढ़ियों के चित्रकारों की अनोखी कला प्रदर्शनी महाकौशल कला परिषद ने आयोजित की गई है। महाकौशल कला परिषद ने दूसरी बार इस तरह की प्रदर्शनी आयोजित की है, जिसमें दादा, पुत्र और प्रपौत्र की चित्र कलाओं का प्रदर्शन एक साथ किया गया है। तीन पीढ़ियों की इस कला प्रदर्शनी का नाम रंगों का सौंदर्य रखा गया है।
रायपुर, 9 अगस्त (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ में तीन पीढ़ियों के चित्रकारों की अनोखी कला प्रदर्शनी महाकौशल कला परिषद ने आयोजित की गई है। महाकौशल कला परिषद ने दूसरी बार इस तरह की प्रदर्शनी आयोजित की है, जिसमें दादा, पुत्र और प्रपौत्र की चित्र कलाओं का प्रदर्शन एक साथ किया गया है। तीन पीढ़ियों की इस कला प्रदर्शनी का नाम रंगों का सौंदर्य रखा गया है।
इस प्रदर्शनी में शामिल हैं प्रदेश के ख्यातनाम वरिष्ठ कलाकार दिवंगत कल्याण प्रसाद शर्मा, पुत्र वरिष्ठ चित्रकार डॉ. प्रवीण शर्मा, प्रपौत्र डॉ. शिखर शर्मा व प्रो. समवेद शर्मा।
महाकौशल कला परिषद के मानसेवी निदेशक डॉ. प्रवीण शर्मा ने वीएनएस को बताया कि यह प्रदर्शनी तीन पीढ़ियों के कलाकारों की प्रकृति को कैनवास पर उतारने की जुंबिस है।
उन्होंने बताया कि उनके पिता कल्याण प्रसाद शर्मा अपने जीवन के अंतिम दिनों में योग व तंत्र को लेकर कई रचनाएं लिखी थीं। इसके साथ ही छग में फैली लोक-संस्कृति और परंपराओं पर अपने चित्रों के माध्यम से रंग उकेरा था। इसमें गांवों में घर से बाहर दीवारों पर बनाई जाने वाली कई प्रकार की आकृतियां व मंदिरों की दीवारों पर चित्रों का अंकन शामिल हैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि प्रदर्शनी में मानव व प्रकृति का बेजोड़ अंकन रचनाओं के केंद्र में है।
डॉ. शर्मा का कहना है कि जुगलबंदी के इस आयोजन में कलाकार स्व. कल्याण प्रसाद शर्मा (पिता), डॉ. प्रवीण शर्मा (55 वर्ष) (पुत्र), डॉ. शिखर शर्मा (27 वर्ष) व प्रो. समवेद शर्मा (प्रपौत्र) (25 वर्ष) की 1934 से 2015 तक के वर्षों के संयोजन, जो प्रकृति के आसपास को अपने अंतस में समेटते छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुषमा को व्यक्त करते हैं, का प्रदर्शन किया जा रहा है।
डॉ. शर्मा का कहना है कि कला प्रदर्शनी में पेस्टल, जलरंग, एक्रीलिक, पेस्टल, तैलरंग, स्केच पैन व स्याही, चारकोल, पेंसिल प्रकृति के विभिन्न रूपों को लयात्मक रेखाओं से साकार करती अलग-अलग विषय की लोकरंग, लैंडस्केप, नेचर, स्टील लाईफ कम्पोजिशन की अभिव्यंजना को कैनवास पर जीवंत किया गया है।