चेन्नई/नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और एक समय पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुकी जयंती नटराजन ने शुक्रवार को पार्टी को अलविदा कह दिया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की करीबी और मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की मंडली में शामिल मानी जाने वाली नटराजन के पार्टी छोड़ने से राजनीतिक जगत में हड़कंप की लहर दौड़ गई।
चेन्नई/नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और एक समय पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुकी जयंती नटराजन ने शुक्रवार को पार्टी को अलविदा कह दिया। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की करीबी और मौजूदा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की मंडली में शामिल मानी जाने वाली नटराजन के पार्टी छोड़ने से राजनीतिक जगत में हड़कंप की लहर दौड़ गई।
पार्टी छोड़ने के अलावा नटराजन ने कांग्रेस नेतृत्व खास तौर से उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में पर्यावरण मंत्री रहते हुए उनके (राहुल) कार्यालय से मिले ‘विशेष अनुरोधों’ पर उन्होंने (नटराजन) कामकाज किया।
चेन्नई में गहमागहमी वाले संवाददाता सम्मेलन में नटराजन ने कहा, “मैं अपने इस्तीफे (पार्टी से) की घोषणा करती हूं।”
कांग्रेस नेता तुरतफुरत में राहुल गांधी और सोनिया गांधी के बचाव में उतर आए और कहा कि उन्होंने मंत्रियों के कामकाज में कभी भी हस्तक्षेप नहीं किया।
पार्टी से 30 वर्षो से भी ज्यादा समय तक जुड़ी रहने वाली नटराजन ने कहा, “हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है उसे देखते हुए मैं महसूस करती हूं कि मेरे लिए वह समय आ गया है जब मुझे पार्टी से अपने जुड़ाव पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। कांग्रेस अब वह कांग्रेस नहीं रही जिससे मैं जुड़ी थी।”
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ी है। उनके पत्र पर तमिलनाडु इकाई सहित पार्टी ने हैरत जताई हालांकि तमिलनाडु कांग्रेस के अध्यक्ष ई. वी. के. एस. इलान्गोवन ने कहा, “उनकी अनुपस्थिति से पार्टी कमजोर नहीं होगी।”
तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 20 दिसंबर, 2013 को उनसे मंत्रीपद से इस्तीफा देने के लिए कहा था। बकौल जयंती, “पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर उन्हें राहुल गांधी के दफ्तर से कई अनुरोध व नुमाइंदगी मिली।” उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि राहुल गांधी के विशेष अनुरोध पर परियोजनाओं के संबंध में पर्यावरणीय मंजूरी दी गई थी। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को अब इससे इंकार करने दीजिये।”
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने हालांकि कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कभी हस्तक्षेप नहीं किया।
बेंगलुरू में संवाददाताओं से मोइली ने कहा, “मेरी जानकारी में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जहां कांग्रेस अध्यक्ष या उपाध्यक्ष ने प्रशासन में हस्तक्षेप किया हो।”
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी दिल्ली में कहा, “..यह पूरी तरह गलत है कि सोनिया गांधी या राहुल गांधी संप्रग सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करती थी। फैसले लेने के लिए मंत्री स्वतंत्र थे।”
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. बक्तवत्सलम की पोती नटराजन कांग्रेस से गहरे रूप से जुड़े रहने वाले कद्दावर नेताओं के परिवार से आती हैं। नटराजन के परिवार के लोग 1885 में शुरुआत के समय से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए थे।
चेन्नई में वकालत करने वाली नटराजन 1980 में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में राजनीति में कदम रखा। बाद में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी का उनपर ध्यान गया और उन्होंने 1986 में उन्हें पहली बार राज्यसभा में लाया।
30 वर्षो के विस्तृत समयावधि में उच्च सदन के लिए वे तीन बार 1992, 1997 और 2008 में पुनर्निवाचित हुई।
जयंती ने कहा कि केंद्र में पर्यावरण मंत्री बनने के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनसे पर्यावरण सुरक्षा को लेकर कांग्रेस की परंपरा को बरकरार रखने के लिए कहा, जैसा कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व राजीव गांधी ने किया था।
बेहद नाराज नजर आ रहीं जयंती ने कहा, “कांग्रेस के बाद मैं अपने जीवन एवं भविष्य को लेकर सोचूंगी।”
उन्होंने कहा, “फिलहाल मेरी किसी भी पार्टी से जुड़ने की योजना नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किसी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया है।
उन्होंने अपने कार्यकाल में विभिन्न परियोजनाओं को दी गई पर्यावरणीय मंजूरी के संबंध में किसी भी जांच का स्वागत किया और कहा कि जांच पारदर्शी होनी चाहिए।
जयंती ने कहा कि वह उस परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जो वर्षो से कांग्रेस के लिए निष्ठावान रहा है। जयंती ने कहा, “पिछले करीब डेढ़ साल का मेरा अनुभव बेहद कड़वा रहा है। मेरी पार्टी ने ही मेरे साथ बुरा बर्ताव किया।”
उन्होंने सवाल किया, “पिछले एक साल में हर किसी ने क्यों मेरी प्रतिष्ठा धूमिल की और मेरे परिवार की विरासत को तार-तार किया?”
नटराजन ने कहा, “परिवार की प्रतिष्ठा और विरासत तार-तार किए जाने के बाद मैं इस स्थिति में नहीं थी कि लोकसभा चुनाव लड़ सकूं।”
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम सहित तमिलनाडु कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव में उतरने से दूर ही रहे। राज्य की 39 सीटों पर पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं आई।