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Saturday , 24 May 2025

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..जहां गर्भवतियों के लिए खाट ही एंबुलेंस

रायपुर/कोरबा, 8 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गुरुवार को गर्भवती धनकुंवर को प्रसव पीड़ा हुई और उसे अस्पताल ले जाने से पहले एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए उन्हें पांच किलोमीटर की पदयात्रा करनी पड़ी। धनकुंवर को उसके पति ने खाट पर लिटाया और एक साथी के सहयोग से पांच किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस तक पहुंचाया। यह कहानी कोरबा जिले के मतिनहा गांव की धनकुंवर जैसी अन्य महिलाओं की, जिन्हें सड़क जैसी आधारभूत संरचना के अभाव में ऐसी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।

प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवतियों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने की जरूरत होती है, लेकिन सच तो यह है कि जहां सड़क न हो, वहां महिलाओं के लिए शुरू की गई महतारी व संजीवनी एक्सप्रेस सेवा भी पहुंच से दूर हो जाती है।

स्वास्थ्य सुविधा की बेहतरी को लेकर शासन भले ही लाख दावे कर रही हो, पर आज भी सूबे के कई गांव ऐसे हैं, जहां तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. पी.आर. कुंभकार का कहना है कि प्रसव की तिथि से तीन दिन पहले ही गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती करा देने की सलाह दी जाती है। अगर गांव तक जाने का रास्ता ही नहीं है तो फिर महतारी एक्सप्रेस या अन्य एम्बुलेंस सेवा भला वहां कैसे पहुंचेंगी। मोबाइल फोन का नेटवर्क फेल हो जाना एक अलग समस्या है।

पाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत पोटापानी के दूरस्थ गांव मतिनहा में आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। पोटापानी व मतिनहा के बीच के पांच किलोमीटर का अंतर वर्षो बाद भी दूर नहीं हो सका है। पहाड़ पर बसे मतिनहा तक पहुंचने का एकमात्र साधन पदयात्रा है। इस पथरीले रास्ते पर मोटरसाइकिल चलाना भी मुश्किल है।

500 आबादी वाले इस गांव में धनुहार आदिवासियों के 100 परिवार रहते हैं। गर्भवती महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए देहाती एंबुलेंस यानी खाट की डोली बनाई जाती है और दो लोग इसे कंधे पर उठाकर पदयात्रा करते हुए पहाड़ी रास्ते से पोटापानी तक पहुंचते हैं।

बीते गुरुवार सुबह भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। चमरू धनुहार की गर्भवती पत्नी धनकुंवर को जब प्रसव पीड़ा हुई तो आनन-फानन में महतारी एक्सप्रेस ‘102’ से संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

इसके बाद संजीवनी ‘108’ एक्सप्रेस को फोन लगाया गया और किसी तरह सूचना देकर एंबुलेंस बुलाई गई। एंबुलेंस तो पोटपानी पहुंच गई, लेकिन पोटापानी से मतिनहा तक जाने का रास्ता ऐसा नहीं है, जिस पर चारपहिया वाहन गुजर सके।

लिहाजा, धनकुंवर को उसके पति ने एक अन्य ग्रामीण की मदद से खाट पर लिटाकर किसी तरह पोटापानी तक पहुंचाया। यहां खड़ी संजीवनी एक्सप्रेस से धनकुंवर को पाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। दोपहर बाद सुरक्षित प्रसव हुआ।

गांव में जब भी कोई अस्वस्थ होता है, तो लोग इसी तरह खाट की एंबुलेंस बनाकर मरीज को अस्पताल पहुंचाते हैं। कई बार उपचार में देरी की वजह से रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देते हैं।

प्रसूती व नवजात को खतरे से बचाने के लिए शासन की ओर से सरकारी अस्पतालों में ‘जननी सुरक्षा योजना’ का संचालन किया जा रहा है। प्रसूती का सहज ढंग से अस्पतालों में आकर प्रसव कराने वाली धाई व अन्य के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इतना ही नहीं, प्रसूतियों को अस्पताल तक लाने में शासन ने महतारी एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया है। बावजूद इसके गांवों तक पहुंचने का मार्ग दुरुस्त नहीं होने के कारण इन सुविधाओं से कई क्षेत्र के लोग वंचित हैं।

सूखे मौसम में तो ग्रामीण किसी तरह खाट पर उठाकर बीमार या गर्भवती को अस्पताल ले आते हैं, लेकिन बरसात में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और पांच की जगह सात किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

..जहां गर्भवतियों के लिए खाट ही एंबुलेंस Reviewed by on . रायपुर/कोरबा, 8 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गुरुवार को गर्भवती धनकुंवर को प्रसव पीड़ा हुई और उसे अस्पताल ले जाने से पहले एंबुलेंस तक पहुंचाने क रायपुर/कोरबा, 8 मार्च (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में गुरुवार को गर्भवती धनकुंवर को प्रसव पीड़ा हुई और उसे अस्पताल ले जाने से पहले एंबुलेंस तक पहुंचाने क Rating:
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