नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि यह प्रशंसनीय है कि भारत विश्व आर्थिक मंच द्वारा वैश्विक प्रतिस्पर्धा सूची में दो सालों में 32 पायदान उपर चढ़ा है। उन्होंने कहा कि यह जीएसटी जैसे सुधारों के कारण हुआ है।
वित्तमंत्री ने जेनेवा स्थित हाई-प्रोफाइल संगठन की वार्षिक सूची में भारत को 39वां रैंक मिलने को लेकर कहा कि यह हाल के सुधारों, खासकर राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों में सुधार का नतीजा है। पिछले साल भारत 55वें स्थान पर था और उसके पिछले साल 71वें स्थान पर था।
जेटली ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह एक सतत प्रक्रिया है। यह भारत की प्रतिस्पर्धा में एक महत्वपूर्ण सुधार को दर्शाता है। यह जो हम कर रहे हैं, उस वास्तविक प्रगति से संबंधित है।”
जेटली ने आगे कहा, “सरकार अपने सुधार के एजेंडे को जारी रखेगी और जीएसटी के साथ माल बाजार में तथा डिजिटल भारत में सुधार को जारी रखेगी। हम 71 से 55 पर आए और अब 39 पर। तो सुधार में एक निरंतरता है।”
इस रपट में कहा गया है कि भारत ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में चीन के बाद दूसरी सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था है।
इस रपट में कहा गया है, “हाल के सुधारों में सार्वजनिक संस्थानों को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया है, अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेशकों तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए खोला गया है और वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाई गई है।”
वहीं, इस सूची में स्विटजरलैंड, सिंगापुर और अमेरिका शीर्ष पर बने हुए हैं।
जेटली ने कहा कि रपट में ही कहा गया है कि 2017 में जीएसटी के कार्यान्वयन के साथ होने की संभावना है, माल बाजार में नकारात्मक संकेत के बारे में फिर से विचार किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के संबंध में भी रपट में कुछ नकारात्मक संकेत मिले हैं। लेकिन डिजिटल भारत के कार्यान्वयन के साथ ही यह रैंकिंग और ऊपर जाने की संभावना है। यह (रिपोर्ट) एक दर्पण है, जहां हम अपने आप को अच्छी तरह देख सकते हैं कि हमें कहां सुधार करने की जरूरत है।”
उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत को काफी कुछ करने की जरूरत है।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने इस बारे में कहा, “इस रपट में कई क्षेत्रों में कमियों का पता चला है, जिससे इस रपट में अच्छे रैंक हासिल करने पर असर पड़ा है। जिसमें सकल राष्ट्रीय बचत, उद्यम पूंजी की उपलब्धता आदि है। इन क्षेत्रों में भी सुधार का काम जारी है।”