एमओसी वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिक, चीन विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत ऐसे किसी भी तरह के तंत्र के लिए खुला है, जो एशिया-प्रशांत आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा दे सकता है।
चीन का मानना है कि टीपीपी समझौता और क्षेत्र के अन्य मुक्त व्यापार समझौते एक-दूसरे को बढ़ावा दे सकते हैं और एशिया-प्रशांत में व्यापार, निवेश और आर्थिक विकास में योगदान दे सकते हैं।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 12 देशों के बीच सोमवार को यह समझौता हुआ और इसके साथ ही यह विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बन गया है।