पटना, 18 मई (आईएएनएस)। कर्नाटक में नई सरकार बनने के बाद बिहार का सियासी पारा भी गर्म है। बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल(राजद) शुक्रवार को राज्यपाल से मिलकर कर्नाटक की तर्ज पर यहां बड़े दल के रूप में सरकार बनाने का दावा पेश करने वाली है।
राजद के नेता तेजस्वी ने भाजपा को संविधान के तहत सरकार चलाने की नसीहत दी है लेकिन जद (यू) ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए उन्हें ‘बबुआगिरी’ छोड़ राज्यपाल की शक्तियों को जानने की सलाह दी है।
तेजस्वी ने शुक्रवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा, “देश संविधान के आधार पर दिल्ली से चलना चाहिए, न कि संघ के नागपुर मुख्यालय से। चलो लोकतंत्र बचाने के लिए सड़कों पर उतरें।”
तेजस्वी ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “गोवा, मणिपुर, मेघालय, बिहार और अब कर्नाटक में हुए सत्तालोलुप नाटक को पचा जाना न राष्ट्र के लिए उचित है और ना लोकतंत्र व नागरिकों के लिए। बार-बार किए जा रहे अन्याय के विरुद्घ न्याय बहाल होने तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन किया जाना चाहिए।”
इधर, जद (यू) ने तेजस्वी पर पलटवार करते हुए उनके नाम एक खुला पत्र जारी किया।
जद (यू) के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार के नाम से जारी इस पत्र में तेजस्वी पर लोकतंत्र और सरकार बनाने के नियमों का ज्ञान नहीं होने का आरोप लगाया गया है। पत्र में कहा गया है कि सरकार बनाने का दावा पेश करने के पूर्व विधानसभा में वर्तमान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर संख्याबल के द्वारा वर्तमान सरकार गिरानी पड़ती है और इसके बाद नई सरकार बनाने का मार्गप्रशस्त होता है।
पत्र में कहा गया है, “तेजस्वी जी, लोकतंत्र में ‘बबुआगिरी’ काम नहीं आता। लोकतंत्र, संविधान और मर्यादाओं से चलती है। वैसे इसमें आपका दोष भी नहीं। आपको अनुभव और मेहनत के बिना न केवल पद बल्कि संपत्ति भी हासिल हो गई है। राजनीतिक व पारिवारिक अनुकंपा पर अगर सबकुछ हासिल हो जाए, तो ऐसे में ज्ञान की कमी होना लाजिमी है।”
उल्लेखनीय है तेजस्वी यादव शुक्रवार को राजद के सभी विधायकों के साथ राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले हैं। तेजस्वी का कहना है कि राज्य में सबसे बड़ी पार्टी राजद है, इस कारण कर्नाटक की तर्ज पर राजद को सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए।