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दिल्ली में ई-रिक्शा की राह में रोड़ा बरकरार

नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। हरीश के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर बगैर किसी कानूनी पचड़े के ई-रिक्शा चला पाना अभी भी दूर की कौड़ी है।

नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। हरीश के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सड़कों पर बगैर किसी कानूनी पचड़े के ई-रिक्शा चला पाना अभी भी दूर की कौड़ी है।

बिहार के मधुबनी का निवासी हरीश ने बताया कि शहर के कुछ मार्गो पर बैटरी से चालित रिक्शा चलाने के लिए उसे अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है।

हरीश ने आईएएनएस से कहा, “दिल्ली सरकार यद्यपि ई-रिक्शा के नियमन और हमें सड़क पर इसे चलाने के लिए लाइसेंस जारी करने के लिए मान गई है, फिर भी उन्होंने इतने सारे नियम बनाए हुए हैं कि प्रक्रिया लंबी और जटिल हो गई है।”

उसने कहा, “मैंने कर्ज लेकर ई-रिक्शा खरीदा। अब इसे सड़क पर उतारने के लिए करीब 30 हजार रुपये और खर्च करना मेरे वश की बात नहीं। इसलिए मुझे ई-रिक्शा चलाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है।” हजारों अन्य ई-रिक्शा चालकों ने पंजीकरण और वैधता की प्रक्रिया को लंबा और खर्चीला बताया।

बैटरी रिक्शा संघ (बीआएस) के अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने कहा कि कई महीने की अनिश्चितता के बाद ई-रिक्शा के परिचालन को वैध बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने सुविधा शिविरों के माध्यम से लाइसेंस जारी करने और पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की।

मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक-2015 संसद के दोनों सदनों में पारित हो गया है। यह विधेयक कानून बनने के बाद अध्यादेश की जगह लेगा और इसका मकसद ई-रिक्शा और ई-ठेलों को मोटर वाहन अधिनियम-1957 के दायरे में लाना है, ताकि उनका परिचालन देश भर में हो सके।

अध्यादेश आने के बाद दिल्ली सरकार ने ई-रिक्शा मालिकों को अपने ई-रिक्शा का दिल्ली मोटर वाहन अधिनियम के तहत पंजीकरण कराने के लिए कहा। परिवहन विभाग ने प्रशिक्षु लाइसेंस, सार्वजनिक सेवा वाहन (पीएसवी) बिल्ला जारी करने के लिए और ई-रिक्शा का पंजीकरण करने के लिए पूरी दिल्ली के 13 परिवहन कार्यालयों में विशेष शिविर आयोजित किए।

अधिकारियों ने कहा था कि वे प्रशिक्षु लाइसेंस जारी करने के 10 दिनों बाद स्थायी लाइसेंस जारी करेंगे। अब इस अवधि को बढ़ाकर एक महीना कर दिया गया है और लाइसेंस पुलिस सत्यापन के बाद जारी किया जाएगा।

गोयल ने आईएएनएस से कहा, “अब तक 21 हजार लोगों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किए हैं। परिवहन विभाग ने संबंधित पुलिस थानों को सत्यापन के लिए विवरण भेज दिए हैं, जो अभी तक शुरू नहीं हुआ है। 21 हजार लोगों का सत्यापन करना और उन्हें लाइसेंस जारी करने में तो समय लगेगा ही।”

उन्होंने कहा कि सिर्फ स्थायी लाइसेंस हासिल कर लेना ही समस्या का समाधान नहीं है। वाहन के लिए परिवहन विभाग से मंजूरी प्रमाणपत्र लेना होता है। प्रमाण पत्र लेने के लिए ई-रिक्शा के ढांचे में कुछ सुधार करवाना होता है। यह सुधार अंतर्राष्ट्रीय वाहन प्रौद्योगिकी केंद्र (आईसीएटी) के द्वारा मंजूरी मॉडल के अनुसार होने चाहिए।

गोयल ने कहा, “इन सुधारों से ई-रिक्शे महंगे हो गए हैं। इसके लिए 32 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च करने होते हैं। हर ई-रिक्शा चलाने वाला इतना खर्च नहीं उठा सकता है।”

समुचित नीति नहीं होने से दिल्ली की सड़कों पर एक लाख से अधिक ई-रिक्शा आ गए हैं।

ई-रिक्शा के एक अन्य संघ के सदस्य गुरमीत सिंह ने कहा, “यह पर्यावरण अनुकूल साधन है। इसे बढ़ावा मिलना चाहिए। हम पंजीकरण के विरुद्ध नहीं हैं। लेकिन हमें दूसरे परिवहन संघों जैसे लाभ मिलने चाहिए।”

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली में मेकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सुदीप्तो मुखर्जी ने आईएएनएस से कहा, “परिवहन के सस्ते साधन में लाभ भी कम होता है। लोगों ने यातायात सुनिश्चित कर लिया है, लेकिन उससे पहले सुरक्षा जरूरी है। शोध के द्वारा ढांचे को सुरक्षित बनाया जा सकता है।”

विशेष पुलिस आयुक्त (यातायात) मुक्ते श चंद्रा ने कहा कि ई-रिक्शा का नियमों के दायरे में परिचालन होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमने विभाग को ऐसे मार्गो की सूची सौंप दी है, जिन पर ई-रिक्शा चलाए जा सकते हैं। इन वाहनों को तेज रफ्तार यातायात वाले मार्गो से अलग रखा जाना चाहिए। प्रशिक्षित चालकों से हालांकि ई-रिक्शा में कोई समस्या नहीं होगी।”

उन्होंने कहा, “ई-रिक्शा में चार यात्रियों और 40 किलोग्राम से अधिक सामान एक साथ नहीं ढोए जा सकते हैं। कुछ क्षेत्रों में फीडर सेवा के तौर पर यह बेहतरीन काम कर सकती है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए ओवरलोडिंग को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।”

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