नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय की उस अधिसूचना को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अधिकारियों, खासकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की नियुक्ति एवं तबादले का अधिकार उपराज्यपाल नजीब जंग के पास होने की बात कही गई है।
दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे को न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की खंडपीठ के समक्ष उठाया, जिस पर सुनवाई के लिए न्यायालय ने शुक्रवार का दिन तय किया है।
इस अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय से इसे निष्प्रभावी करने की मांग की है।
दिल्ली उच्च न्यायालय शुक्रवार को कानून छात्र विभोर आनंद की समान याचिका पर भी फैसला सुनाएगा। विभोर ने भी गृह मंत्रालय की अधिसूचना को न्यायालय में चुनौती दी है और उपराज्यपाल जंग द्वारा वरिष्ठ नौकरशाह शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाए जाने को गैरकानूनी करार दिया था।
खंडपीठ ने कहा, “दिल्ली सरकार ने भी समान याचिका पहले से ही दायर की है। हम दोनों याचिकाओं पर सोमवार को फैसला सुनाएंगे।”
उच्च न्यायालय द्वारा 21 मई को जारी की गई मंत्रालय की अधिसूचना को संदेहास्पद करार देने के कुछ दिनों बाद ही ये याचिकाएं दायर की गई। न्यायालय ने कहा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने की यह अधिसूचना संवैधानिक प्रावधानों की अधिकार शक्ति से बाहर है। केंद्र सरकार का दिल्ली में नौकरशाहों के कार्यक्षेत्र से संबंधी मामलों में अधिकार क्षेत्र नहीं है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने उच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार न्यायलय के आदेश को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंच गई है।
कानून छात्र विभोर आनंद ने अपनी पीआईएल में कहा था, “दिल्ली ना ही पूर्व राज्य और ना ही केंद्र शासित प्रदेश है। दिल्ली में शासन भारतीय संविधान की धाराओं 239-एए और 239-एबी के अधीन है।”