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देश में आजादी के बाद सुखाड़ 10 गुना : राजेंद्र सिंह (लीड-1)

भोपाल, 23 नवंबर (आईएएनएस)। स्टॉक होम वाटर पुरस्कार से सम्मानित जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने यहां गुरुवार को कहा कि अनियोजित विकास और जल संग्रहण पर ध्यान न दिए जाने के कारण देश में आजादी के बाद सुखाड़ 10 गुना हो गया है। वहीं जंगलों की कटाई और मिट्टी कटान के चलते बाढ़ आठ गुना हो गई है।

सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि एक तरफ नदियां सूख रही हैं, उनका प्रवाह थम रहा है, तालाबों सहित अन्य जल संरचनाओं पर कब्जे हो रहे हैं, तो दूषित पानी जल स्त्रोतों को नुकसान पहुंचा रहा है।

सिंह ने कहा कि देश में जल संकट का निदान नदियों को जोड़ने से नहीं हो सकता। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में जामनी नदी से कुछ तालाबों को जोड़ने का काम हुआ है, यह कम खर्चीला और प्रभावकारी है। वहीं नदी जोड़ो अभियान किसी खतरे से कम नहीं है।

उन्होंने सुखाड़ और बाढ़ का जिक्र करते हुए कहा कि एक तरफ वर्षा जल को इकट्ठा करने के इंतजाम नहीं हैं, जिससे बारिश औसत भी हो, तब भी सूखे के हालात बनते हैं। वहीं जंगलों की कटाई के साथ ही नदी के किनारों का क्षरण होने से नदी सहित अन्य जलस्रोतों में सिल्ट जमा हो जाती है। इसका नतीजा यह होता है कि बारिश का पानी बह जाता है। कई इलाकों में तो बाढ़ का कारण भी यही बनता है।

उन्होंने आगे कहा कि देश को सुखाड़ और बाढ़ से कैसे मुक्त किया जा सकता है, इस पर मंथन और विचार-विमर्श करने के लिए बुंदेलखंड के खजुराहो में दो-तीन दिसंबर को ‘राष्ट्रीय जल-सम्मेलन’ आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे सहित कुे पर्यावरण प्रेमी और जल संरक्षण के हिमायती शामिल होंगे।

सिंह ने कहा कि देश के 17 राज्यों में सूखे के हालात हैं। इन राज्यों के 317 जिले इसकी जद में हैं। सबसे बुरा हाल तो बुंदेलखंड का है। औसत बारिश के बावजूद यह इलाका सूखे की समस्या से जूझ रहा है। अब तो सूखा अकाल में बदल रहा है। भारत और बुंदेलखंड को सुखाड़ और दुष्काल मुक्त कैसे बनाया जाए, इसके लिए देश भर के पर्यावरण विद् दो-तीन दिसंबर को बुंदेलखंड के केंद्र खजुराहो में जुट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ‘सूखा मुक्त राष्ट्रीय जल सम्मेलन’ में इस बात पर चिंतन-मनन होगा कि इस दुष्काल को बढ़ने से कैसे रोका जाए, क्योंकि आजादी के बाद देश में सूखी जमीन दस गुना बढ़ गई है। जलवायु परिवर्तन के असर और सुखाड़ व बाढ़ की समस्या को नहीं रोका गया तो आने वाला समय जिंदगी को निगलने वाला साबित होगा।

उन्होंने बताया कि इससे पहले 16 से 18 अगस्त तक कर्नाटक के बीजापुर में जल-जन जोड़ो अभियान ने भारत को दुष्काल मुक्त बनाने के लिए देश के 101 नदी घाटी के पानी एवं पर्यावरण पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाया गया था। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान तीन दिनों तक लगातार पानी, पर्यावरण और नदी पुनर्जीवन के विषय पर व्यापक चर्चा हुई थी।

सिंह ने कहा कि इस समय बुंदेलखंड की हालत पूरे देश में सर्वाधिक संकटग्रस्त है। जहां सिंचाई के लिए तो छोड़िए, पीने के लिए पानी का अकाल है। गांव के लोग पानी और खाद्यान्न व रोजगार के अभाव में व्यापक पैमाने पर पलायन कर गए हैं।

जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह का कहना है कि इस सम्मेलन में अन्ना हजारे सहित देश के विषय विशेषज्ञों, पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सा लेने वाले हैं। इस सम्मेलन में 10 सत्रों में चर्चा होगी।

बुंदेलखंड में कुल 13 जिले आते हैं, इनमें मध्य प्रदेश के छह जिले- छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, पन्ना, सागर व दतिया और उत्तर प्रदेश के सात जिले- झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा व चित्रकूट शामिल हैं। इन 13 जिलों से यात्रा निकालकर जागरूक वर्ग के लोग खजुराहो पहुंच रहे हैं।

बुंदेलखंड में मुकेश यादव और पवन राजावत लगातार आम जन में पानी संरक्षण के लिए अलख जगाने में लगे हुए हैं। वे इस सम्मेलन के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। वे भी संवाददाता सम्मेलन में मौजूद रहे।

देश में आजादी के बाद सुखाड़ 10 गुना : राजेंद्र सिंह (लीड-1) Reviewed by on . भोपाल, 23 नवंबर (आईएएनएस)। स्टॉक होम वाटर पुरस्कार से सम्मानित जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने यहां गुरुवार को कहा कि अनियोजित विकास और जल संग्रहण पर ध्यान न दिए जाने भोपाल, 23 नवंबर (आईएएनएस)। स्टॉक होम वाटर पुरस्कार से सम्मानित जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने यहां गुरुवार को कहा कि अनियोजित विकास और जल संग्रहण पर ध्यान न दिए जाने Rating:
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