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नियामकीय ढांचा सुसंगत हो : आईटीसी

कोलकाता, 31 जुलाई (आईएएनएस)। देश की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए नियामकीय ढांचा सुसंगत होना चाहिए और नीति तथा प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए, जिससे उद्यमिता हतोत्साहित नहीं हो। यह बात यहां शुक्रवार को आईटीसी के अध्यक्ष वाई.सी. देवेश्वर ने कही।

कंपनी की सालाना आम बैठक में उन्होंने कहा, “व्यापार की सुविधा के लिए काफी कुछ किया जा चुका है, वहीं उद्योग के नियामकों और विकासकर्ताओं के लिए जिम्मेदार प्रतिस्पर्धात्मकता की साझा सोच भी उतनी ही जरूरी है।”

उन्होंने कहा कि नियामकीय नीतियां एक-दूसरे से अलग-थलग हैं और एक उद्येश्य की कीमत पर दूसरे को बढ़ावा दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “नीति और प्रक्रिया स्पष्ट, सरल और पारदर्शी होनी चाहिए। स्वेच्छाचारी नियामकीय कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए और उद्यमिता को हतोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “हर नियामकीय ढांचे को इस सवाल पर परखा जाना चाहिए कि क्या यह देश को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाएगा।”

देवेश्वर ने कहा कि देश के निर्यात पर गौर करने से पता चलता है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता में की है और पहले देश में ब्रांड मजबूत किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि देश की वैश्विक स्तर की कंपनियां जब मजबूत भारतीय ब्रांडों का निर्माण करेगी, तब मेक इन इंडिया अभियान को मजबूती मिलेगी।”

नियामकीय ढांचा सुसंगत हो : आईटीसी Reviewed by on . कोलकाता, 31 जुलाई (आईएएनएस)। देश की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए नियामकीय ढांचा सुसंगत होना चाहिए और नीति तथा प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए, जिससे उद्यमिता हतोत् कोलकाता, 31 जुलाई (आईएएनएस)। देश की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए नियामकीय ढांचा सुसंगत होना चाहिए और नीति तथा प्रक्रिया ऐसी होनी चाहिए, जिससे उद्यमिता हतोत् Rating:
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