कोलकाता, 23 जनवरी (आईएएनएस)। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा कि जिस भी परिस्थिति में सुभाष चंद्र बोस की मौत हुई, उसका इस्तेमाल तुच्छ राजनीति के लिए किया जा रहा है, वह भी ऐसे समय में जब देश को नेताजी के न्याय के दृष्टिकोण की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेताजी से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के दिन सेन ने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि इन दस्तावेजों से यह बात सामने आएगी कि नेताजी की मौत में कांग्रेस नेतृत्व का हाथ था।
सेन ने कहा, “जिन परिस्थतियों में नेताजी की मौत हुई, उसे कभी-कभी तुच्छ मानसिकता वाली राजनीति के तौर पर पेश किया जाता है। वे चीजों को इस तरह पेश करते हैं, जैसे लगता है कि सुभाष चंद्र बोस के जीवन को खत्म करने में कांग्रेस की विशेष भूमिका सामने आएगी।”
नेताजी की जयंती पर यहां उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि वे इतिहासकार लियोनार्ड गोडरेन के सिद्धांत का समर्थन करें, जिसके मुताबिक बोस की सन् 1945 में एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी।
उन्होंने कहा, “गोडरेन जैसी विशेषज्ञता मेरे पास नहीं है। वे सही भी हो सकते हैं। मुझे लगता है कि वे सही हैं। लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि यह सही नहीं है। लेकिन यह इतिहास के बजाय पुरातात्विक दिलचस्पी का मुद्दा नहीं है।”
सेन ने कहा कि किसी व्यक्ति का जीवन उस व्यक्ति के मौत के समय की परिस्थिति से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
उत्तर प्रदेश के गुमनामी बाबा के सुभाष चंद्र बोस होने के दावे की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “कुछ लोगों के मुताबिक वे संन्यासी बन गए थे। ऐसा लगता है कि उन लोगों को नेताजी के व्यक्तित्व को लेकर गलतफहमी है, जैसा वे थे।”
उन्होंने कहा, “इस बात में सभी दिलचस्पी रखते हैं कि इन फाइलों से आखिर क्या परिणाम सामने आएंगे। सभी यह जानना चाहते हैं कि वास्तव में उनके साथ हुआ क्या था। मैं भी जानना चाहता हूं।”
सेन ने कहा, “लेकिन नेताजी के महान दृष्टिकोण से किसी की तुलना नहीं की जा सकती।”
लोग यह जानना चाहते हैं कि उनके साथ हुआ क्या था, जबकि हम यह जानना चाहते हैं कि उनका दृष्टिकोण क्या था।