Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 नैतिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समय की जरूरत : यूएन विशेषज्ञ | dharmpath.com

Tuesday , 13 May 2025

Home » व्यापार » नैतिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समय की जरूरत : यूएन विशेषज्ञ

नैतिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समय की जरूरत : यूएन विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र, 17 नवंबर (आईएएनएस)। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे डिजिटल समाधान लोगों की जिन्दगी में बदलाव ला रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही चिंताएं भी बढ़ी है, जो कि सुरक्षा से लेकर मानवाधिकारों के हनन तक है। एक विशेषज्ञ का यह कहना है।

संयुक्त राष्ट्र, 17 नवंबर (आईएएनएस)। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे डिजिटल समाधान लोगों की जिन्दगी में बदलाव ला रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही चिंताएं भी बढ़ी है, जो कि सुरक्षा से लेकर मानवाधिकारों के हनन तक है। एक विशेषज्ञ का यह कहना है।

संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय (यूएनयू) के इमर्जिग साइबर टेक्नॉलजीज की रिसर्च फेलो एलेओनोरे पॉवेल्स के मुताबिक एआई हमारी जिन्दगी में बदलाव ला रहे हैं और हमारे शरीर, हमारे मूड और हमारी मनोदशा की दृश्य और अदृश्य रूप से निगरानी कर रहे हैं।

पॉवेल के हवाले से यूएन न्यूज ने कहा, “हमारी निजी जानकारियों को चारों तरफ से हासिल किया जा रहा है और इससे वे हमें विशिष्ट रूप से परिभाषित कर दे रहे हैं और हमारे जीवन को आकार दे रहे हैं। इन आकंड़ों का विभिन्न उद्देश्यों के लिए प्रयोग किया जा रहा है, जिसकी हमें जानकारी नहीं है या हमसे इस संबंध में सहमति नहीं ली जा रही है।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रकार से तेजी से बढ़ती जा रही एल्गोरिदम-संचालित दुनिया में मानव के स्वतंत्र अस्तित्व की कैसे रक्षा की जाए। अब यह दार्शनिक सवाल से बढ़कर समय की आपात जरूरत बन गई है।

महत्वपूर्ण बात यह है कि एआई का उद्भव अन्य क्षेत्रों की प्रौद्योगिकी में उन्नति के साथ-साथ हुआ है, जिसमें जीनोमिक्स, एपिडेमियोलॉजी और न्यूरोसाइंस प्रमुख हैं।

पॉवेल ने कहा, “इसका मतलब यह है कि ना सिर्फ आपका कॉफी मेकर क्लाउड कंप्यूटर्स को जानकारियां भेज रहा है, बल्कि फिटबिट जैसे वेयरेबल सेंसर्स, हमारे शरीर के अंदर और बाहर लगे स्मार्ट इंप्लांट्स, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेसेस और यहां तक कि पोर्टेबल डीएनए सीक्वेंसर्स भी हमसे जुड़े पल-पल के आंकड़े एकत्र कर रहे हैं।”

इसका नतीजा है कि एआई क्रांति हमें कई लाभ मुहैया कराने का वादा करती है, लेकिन दूसरी तरफ इससे बड़ा संकट भी पैदा हो रहा है, खासकर हमारे आंकड़े के स्वामित्व और नियंत्रण को लेकर।

पॉवेल ने कहा कि हमारे निजी विशिष्ट आंकड़ों के डिजिटल प्रतिनिधित्व की मदद से दुनिया की सबसे सटीक दवा का निर्माण किया जा सकता है। वहीं, दूसरी तरफ इस डेटा के दुरुपयोग के खतरों की जद में हर कोई आ चुका है। इसकी मदद से हमारा पहले से कहीं ज्यादा शोषण किया जा सकता है।

पॉवेल ने आगे कहा, “इससे दुनिया में एआई के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर नैतिक और नीतिगत चुनौतियों की उलझन हमारे सामने आ खड़ी हुई है, जिसकी मैपिंग करने, उस पर विचार करने और उसे विश्लेषित करने की जरूरत है।”

नैतिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस समय की जरूरत : यूएन विशेषज्ञ Reviewed by on . संयुक्त राष्ट्र, 17 नवंबर (आईएएनएस)। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे डिजिटल समाधान लोगों की जिन्दगी में बदलाव ला रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही चिंताएं भी बढ़ी है, जो क संयुक्त राष्ट्र, 17 नवंबर (आईएएनएस)। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे डिजिटल समाधान लोगों की जिन्दगी में बदलाव ला रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही चिंताएं भी बढ़ी है, जो क Rating:
scroll to top