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न्यायपालिका पर बिफरी शिवसेना

मुंबई, 15 मई (आईएएनएस)। सरकारी विज्ञापनों में राजनेताओं की तस्वीरों के इस्तेमाल की मनाही से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले से नाखुश शिवसेना ने इसे ‘अनुचित’ करार दिया है।

न्यायालय ने सरकार तथा इसकी एजेंसियों के विज्ञापन में किसी भी राजनीतिक हस्ती तथा मंत्री की तस्वीर के इस्तेमाल को व्यक्ति पूजा को बढ़ावा देने वाला करार देते हुए इस पर रोक लगाने का आदेश दिया है। हालांकि, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राष्ट्रपिता तथा प्रधान न्यायाधीश की तस्वीर का इस्तेमाल सरकारी विज्ञापनों में करने की अनुमति दी गई है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा, “जब भी न्यायालय फैसला सुनाता है, हम कहते हैं हां, महाराज, हम इसे स्वीकार करते हैं और सहमति में सिर हिलाते हैं, क्योंकि कोई भी न्यायालय की अवमानना नहीं करना चाहता।”

पार्टी ने सवालिया लहजे में लिखा, “हाल के समय में न्यायालय ने फैसला दिया है या निर्वाचित सरकार की अवहेलना की है या वे स्वयं प्रशासन को निर्देश दे रहे हैं? अब चूंकि यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है, इसलिए हमारे पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है कि हम भी सिर झुकाकर कहें कि ‘हां, महाराज’।”

संपादकीय में शिवसेना ने शोभा डे के बारे में भी लिखा। हालांकि पार्टी ने उनका नाम नहीं लिया। इसके मुताबिक, “महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठियों के अपमान के लिए एक महिला (शोभा डे) के खिलाफ अवमानना की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन अदालत ने इस पर भी रोक लगा दी।”

शिवसेना ने कहा, “फिर हम क्यों लोकतंत्र का प्रलाप करें और क्यों धूप और बारिश में विधानसभा के गठन के लिए तकलीफ उठाएं। एक तरफ हम लोकतंत्र का जयगान करते हैं, दूसरी तरफ न्यायालय लोकतंत्र की रीढ़ तोड़ने के आदेश देती है।”

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