भोपाल-मप्र पर्यटन निगम के आज हुए एक कार्यक्रम में जो सेवानिवृत्त आयएएस अधिकारी हैं एवं ललित कला अकादमी दिल्ली के अध्यक्ष भी हैं.भाषाई उच्चारण की परेशानियों के मध्य में भी चक्रवर्ती ने उज्जैन के ऐतिहासिक संस्मरणों एवं सबूतों को बखूबी सामने रखा.उन्होंने कहा की वे मप्र में पर्यटकों को पर्यटक नहीं तीर्थयात्री शब्द से संबोधित करना पसंद करेंगे.
मप्र में घरेलू पर्यटन में आसीम संभावनाएं उन्होंने बतायीं.उन्होंने कहा की पिछले सिंहस्थ में पर्यटकों को सुविधाएं थीं लेकिन साधुओं को नहीं.उद्बोधन में उन्होंने कहा की भौतिकता को पीछे छोड़ें आध्यात्मिकता की संरचना को पहचान कर पर्यटन के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया.केके काक्रवर्ती ने बताया की शिव मानव जातिओं को अमृतपान के लिए आमंत्रित करते हैं.मनुष्य सभ्यता की चरम उपलब्धि ही मनुष्यता है.ऐसा इस सिंहस्थ में भी सन्देश जाता है.
उज्जैन के इतिहास को बताते हुए उन्होंने वहां की मिटटी में पड़े सबूतों को ढूँढने और आगामी पीढ़ी को परिचित कराने को कहा.