कोलकाता, 2 अक्टूबर – पश्चिम बंगाल में शारदीय नवरात्र के दौरान गुरुवार को श्रद्धालुओं ने कुमारी पूजा की। इसके लिए वे रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ में एकत्र हुए। पूरे राज्य में दुर्गापूजा का उल्लास नजर आया। आमतौर पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव इस साल चार दिनों में समाप्त होगा, क्योंकि पंचांग के अनुसार इस साल महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन हैं।
पंचांग के अनुसार, महाष्टमी गुरुवार दोपहर को खत्म हो जाएगी और महानवमी शुरू हो जाएगी। महानवमी शुक्रवार सुबह खत्म होगी।
कोलकाता शहर में ढोल की थापों और मंदिरों के घंटों के सुरों के बीच श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा को पुष्पांजलि अर्पित की।
अनुष्ठान सुबह कुमारी पूजा के साथ शुरू हुआ, जिसमें कुंवारी कन्या को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।
कुमारी पूजा के मौके पर कोलकाता से 10 किलोमीटर दूर स्थित बेलूर मठ में भारी भीड़ देखी गई।
समाज में महिलाओं की महत्ता को रेखांकित करने के लिए स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1901 में कुमारी पूजा की परंपरा शुरू की थी।
जिस छोटी कन्या की पूजा की जाती है, वह पूजा खत्म होने तक व्रत रखती है। कन्या को पुजारियों के मंत्रोच्चारण के साथ मां दुर्गा की मूर्ति के पास एक आसन पर बैठाया जाता है।
एक पुजारी ने बताया, “पूजा के बाद माता की शक्ति कन्या में आती है।”
हिंदू पुराणों के अनुसार महाष्ठमी और महानवमी की संधि वेला में मां दुर्गा ने चंड और मुंड दानवों का संहार किया था।