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 पीयू को 100 साल बाद भी नहीं मिला ‘केंद्रीय’ दर्जा | dharmpath.com

Friday , 16 May 2025

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पीयू को 100 साल बाद भी नहीं मिला ‘केंद्रीय’ दर्जा

पटना, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। अपने स्वर्णिम इतिहास के लिए प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय (पीयू) आज भले ही अपने 100 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी समारोह मना रहा हो, लेकिन उसे अब तक केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिलना यहां के लोगों को रास नहीं आ रहा है।

पटना, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। अपने स्वर्णिम इतिहास के लिए प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय (पीयू) आज भले ही अपने 100 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी समारोह मना रहा हो, लेकिन उसे अब तक केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिलना यहां के लोगों को रास नहीं आ रहा है।

स्वतंत्रता संग्राम और असहयोग आंदोलन में खास भूमिका निभाने वाले पटना विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1917 में हुई थी। आज भी यह विश्वविद्यालय बिहार के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। स्थापना से पहले इसके अंतर्गत आनेवाले आने वाले कॉलेज कलकत्ता विश्वविद्यालय के अंग थे।

विश्वविद्यालय के इतिहास पर गौर करें तो यहां के छात्रों ने आजादी की लड़ाई में भी अपना अहम योगदान दिया था। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, साहित्यकार उषा किरण खान, सुरेंद्र स्निग्ध जैसे लोग यहां के छात्र रह चुके हैं। हास्य-सम्राट के रूप में विख्यात मैथिली कथाकार हरिमोहन झा, जिनकी कृतियों का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है, यहां प्रोफेसर रह चुके हैं। यशवंत सिन्हा यहां के प्राध्यापक रहे हैं तो फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा यहां के छात्र रहे हैं।

आजादी की लड़ाई में यहां के छात्रों ने सचिवालय पर तिरंगा फहराया था। इससे गुस्साए अंग्रेज सिपाहियों ने इन सात छात्रों को गोली मार दी थी। आज भी इन छात्रों की समवेत मूर्ति बिहार विधानसभा भवन के पास है।

पटना विश्वविद्यालय के इतिहास में शनिवार को पहली बार प्रधानमंत्री ने यहां कदम रखा। नरेंद्र मोदी के यहां पहुंचने पर पूर्व और वर्तमान छात्रों को यह आशा जगी थी कि शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की घोषणा जरूर करेंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री से कई बार मांग भी की, लेकिन यह मांग एक बार फिर धरी रह गई।

प्रधानमंत्री ने पटना विश्वविद्यालय समेत देश की 10 निजी और 10 सरकारी विश्वविद्यालयों को 10 हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा तो जरूर की, लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय की मांग पर कहा कि यह तो गुजरे जमाने की मांग है, पीयू को विश्वस्तरीय बनाएंगे। जो मांग थी, उस पर आश्वासन न मिलने से छात्रों और शिक्षकों को भी भारी निराशा हुई।

बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री व कांग्रेस नेता अशोक चौधरी ने कहा, “सपनों की दुकान वाले प्रधानमंत्री अपना सपना बेचकर चले गए। बड़ी निराशा हुई, मैं सभी पूर्ववर्ती छात्रों से जो मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हैं, आग्रह करता हूं कि उनसे पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाएं, यह वक्त की मांग है।”

लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार को बेवकूफ बनाया है। पार्टी के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, “नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को आईना दिखाया है।”

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री को भी उम्मीद थी कि पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिल जाएगा। लेकिन प्रधानमंत्री ने नीतीश को मूर्ख बनाया है। विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय का सपना दिखाकर नीतीश को आईना दिखा दिया है।”

पटना कॉलेज के प्राचार्य रहे प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री से बिहारवासियों और विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों को काफी उम्मीदें थीं। इस विश्वविद्यालय का भारत के इतिहास में अहम योगदान रहा है, लेकिन प्रधनमंत्री ने केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं देने के साथ एक भी रुपये की आर्थिक मदद देने की घोषणा नहीं की।

नाराज चौधरी ने एक कहावत ‘जात गवाए और भात भी नहीं खाए’ कहते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आए और चले भी गए, लेकिन कुछ मिला नहीं।

इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले प्रमुख महाविद्यालयों में साइंस कॉलेज, पटना कॉलेज, वाणिज्य महाविद्यालय, बी.एन. कॉलेज, पटना कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लॉ कॉलेज, मगध महिला कॉलेज सहित 10 महाविद्यालय हैं।

पीयू के आहत छात्र अब इस मांग को लेकर आंदोलन की राह पकड़ने की बात कह रहे हैं।

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