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 पूर्वोत्तर राज्यों में मतदाता सूची सुधारने का अभियान शुरू | dharmpath.com

Thursday , 5 June 2025

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पूर्वोत्तर राज्यों में मतदाता सूची सुधारने का अभियान शुरू

अगरतला, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में मतदाताओं की सही सूची एवं सूची में मतदाताओं के नामों की गलतियां सुधारने के लिए पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में मतदाता सूची सुधार अभियान शुरु हो गया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अगरतला, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। देश में मतदाताओं की सही सूची एवं सूची में मतदाताओं के नामों की गलतियां सुधारने के लिए पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में मतदाता सूची सुधार अभियान शुरु हो गया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।

त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) संजय कुमार राकेश ने आईएएनएस को बताया, “मतदाता सूची को सही करने के लिए राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण एवं प्रमाणन कार्यक्रम (एनईआरपीएपी) देश भर में लांच किया गया है, जिसके तहत आधार संख्या एवं संपर्क विवरण के आधार पर मतदाता सूची को सही किया जाएगा। यह अभियान 15 अगस्त तक चलेगा।”

उन्होंने बताया, “एनईआरपीएपी का क्रियान्वयन तेज करने के लिए आठ पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की शिलांग (मेघालय) में 29 अप्रैल को एक बैठक बुलाई गई है। अभियान को बिना किसी बाधा के निर्धारित समय सीमा में पूरा किए जाने के लिए पूरी तैयारी की जाएगी।”

राकेश ने बताया कि निर्वाचन आयोग के तीन उप निर्वाचन आयुक्तों -विनोद जुत्शी, सुधीर त्रिपाठी और उमेश सिन्हा- बुधवार को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे और क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारियों को नई योजना के क्रियान्वय के बारे में जरूरी निर्देश देंगे।

पूर्वोत्तर भारत की चार करोड़ 55 लाख 80 हजार आबादी का 28 फीसदी से ज्यादा हिस्सा जनजातीय लोगों का है, जिन्हें इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन प्रणाली की जानकारी नहीं है।

समाजशास्त्री सुजान बनिक ने आईएएनएस को बताया, “जनजातीय समुदाय का एक हिस्सा जो अंधविश्वास से प्रभावित है, आधार कार्ड नहीं बनवाना चाहता। उनका मानना है कि यदि 12 नम्बरों की आधार संख्या उनके नाम पर जारी की जाती है, तो वे पशु समान हो जाएंगे।”

त्रिपुरा और सिक्किम को छोड़कर दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों में आधार कार्ड योजना की स्थिति दयनीय है।

एक आधिकारिक रपट के अनुसार, आधार कार्ड का लाभ उठाने के मामले में मेघालय सबसे पिछड़ा है। मेघालय में मात्र 0.7 फीसदी आधार कार्ड ही वितरित किए गए हैं। इसके बाद क्रमश : असम (0.08 फीसदी), अरुणाचल प्रदेश (12.2 फीसदी), मिजोरम (26.2 फीसदी), मणिपुर (41.2 फीसदी) और नागालैंड (43.2 फीसदी) आते हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों में आधार कार्ड पंजीयन के मामले में त्रिपुरा (95 फीसदी) और सिक्किम (94 फीसदी) सबसे ऊपर हैं।

देश के 85 करोड़ मतदाताओं में से 50 करोड़ मतदाताओं के पास आधार संख्या है और शेष को साल के अंत तक आधार संख्या उपलब्ध कराए जाने की उम्मीद है।

राकेश ने कहा, “देश के ज्यादातर हिस्सों में एनईआरपीएपी अभियान तीन मार्च को लागू किया जा चुका है। त्रिपुरा में घर-घर जाकर अभियान का प्रचार करने के माध्यम से एक अप्रैल से योजना का क्रियान्वयन शुरू हो चुका है। इस अभियान के पूरा होने के बाद मतदाताओं के नामों में गलतियों के मामले न के बराबर होंगे।”

निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, देश की मतदाता सूची में आठ करोड़ 50 लाख नाम नकली या फर्जी हैं।

राकेश ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट) के तहत एक से ज्यादा क्षेत्रों की मतदाता सूची में शामिल होना दंडनीय अपराध है।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकारी सेवाओं और सुविधाओं में आधार संख्या को अनिवार्य नहीं करने के निर्देश दिए जाने के बारे में राकेश ने कहा कि जब तक देश के सभी नागरिकों को 12 नम्बरों वाली आधार संख्या मुहैया नहीं कराई जाती, तब तक इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।

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