गौरतलब है कि देश की खेल नीति के अनुसार, ओलम्पिक आयोजन के वर्ष में ओलम्पिक में पदक जीतने वाला कोई भी खिलाड़ी सीधे-सीधे खेल रत्न का हकदार हो जाता है।
भारत की मेजबानी में अगले महीने होने वाले कबड्डी विश्व कप के लोगो के उद्घाटन के लिए आयोजित समारोह से इतर गोयल ने यहां पत्रकारों से कहा, “हमारे पैरा-एथलीटों ने जारी रियो पैरालम्पिक में अब तक चार पदक जीत लिए हैं और देश को गौरवान्वित किया है। लेकिन जहां तक खेल रत्न अवार्ड की बात है तो पैरालम्पिक के मामले में अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। हम मंत्रालय में इस मुद्दो को उठाएंगे।”
उल्लेखनीय है कि रियो पैरालम्पिक में हिस्सा लेने गई 19 सदस्यीय भारतीय पैरा एथलीट दल ने अब तक दो स्वर्ण पदक सहित कुल चार पदक जीत लिए हैं।
मंगलवार को पुरुषों की भाला फेंक (एफ46) स्पर्धा में देवेंद्र झाझरिया ने अपने ही पूर्व रिकॉर्ड में सुधार करते हुए नया विश्व कीर्तिमान रच दिया और दूसरी बार स्वर्ण पदक हासिल किया।
इससे पहले ऊंची कूद (टी42) में मरियप्पन थांगावेलू ने भारत को रियो पैरालम्पिक में पहला स्वर्ण पदक दिलाया था। इसी स्पर्धा में वरुण सिंह भाटी ने कांस्य पदक जीता था।
इसके अलावा महिलाओं की गोला फेंक (एफ53) स्पर्धा में दीपा मलिक ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए रजत पदक पर कब्जा जमाया।
भारतीय पैरा-एथलीटों के प्रदर्शन पर खुशी जताते हुए गोयल ने कहा, “इससे पहले रियो ओलम्पिक के दौरान सार्वजनिक आयोजनों में हिस्सा लेना दूभर था, क्योंकि हर जगह लोग पूछते रहते थे कि भारत कब जीतेगा पदक? भारतीय ओलम्पिक दल ने कड़ा मुकाबला किया, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि वे अधिक पदक नहीं जीत सके।”
गोयल ने आगे कहा, “लेकिन भारतीय पैरालम्पिक खिलाड़ियों ने हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। भारतीय खेल जगत के लिए यह एक महान दिन है। हम अब तक चार पदक जीत चुके हैं।”
गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद निजी तौर पर रियो से लौटने पर सभी पैरा एथलीटों से मुलाकात करेंगे।