शियान, 14 मई (आईएएनएस)। तीन दिवसीय यात्रा पर चीन आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पत्थर की बौद्ध अवशेष मंजूषा की प्रतिकृति तथा भगवान बुद्ध की पत्थर की प्रतिमा भेंट की। इसके अलावा उन्होंने बडनगर में खुदाई के पुरातात्विक चित्र भी दिए।
ये अवशेष 1957 में गुजरात के बडनगर से 80 किलोमीटर पूर्व देव-नी-मोरी में तीसरी-चौथी शताब्दी के स्तूप की खुदाई में प्राप्त हुए थे।
चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 641 ईस्वी के आसपास बडनगर की यात्रा की थी। ह्वेनसांग ने अपने लेखों में इसे आनंदपुर बताया है और हाल की खुदाई में बडनगर में दूसरी शताब्दी ईस्वी में बौद्ध केंद्रों के फलने-फूलने के साक्ष्य मिले हैं। प्रधानमंत्री आज वाइल्ड गूज पैगोडा देखने गए। इसी स्थान पर ह्वेनसांग ने भारत से लाए गए सूत्रों का वर्षो तक अनुवाद किया था।
बडनगर में हाल में हुई खुदाई के दौरान जले हुए ईंट के ढांचे मिले हैं। विशेष योजना तथा प्राचीन सामग्रियों के आधार पर इस ढांचे की पहचान बौद्ध विहार के रूप में की गई है। यहां प्राप्त प्राचीन सामग्रियों में दूसरी शताब्दी ईस्वी का लाल बलुआ पत्थर का बुद्ध का टूटा हुआ सिर, पैर निशान का ताबीज तथा अर्धचंद्राकार पत्थर की तश्तरी मिली है, जिस पर बंदर द्वारा बुद्ध को शहद परोसते हुए दिखाया गया है।
ह्वेनसांग ने अपने लेखों में बडनगर को पश्चिम भारत का महत्वपूर्ण बौद्ध शिक्षा केंद्र मानते हुए इसे दर्ज किया है। इसके मुताबिक, बडनगर में सम्मितिया धारा के एक हजार भिक्षु 10 बौद्ध विहारों में रहते थे।
प्राचीन समय में बडनगर ऐसे रणनीतिक स्थान पर था, जहां से दो प्राचीन व्यापार मार्ग एक दूसरे को पार करते थे। एक व्यापार मार्ग मध्य भारत से सिंध तथा उसके आगे तक का था, जबकि दूसरा मार्ग गुजरात तट के बंदरगाह शहरों से राजस्थान तथा उत्तर भारत तक था। इसलिए बडनगर इन दोनों मार्गो के बने रहने तक अपार अवसरों का नगर रहा होगा।