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प्राचीन मनोविज्ञान को भूल रहे हैं भारतीय : दलाई लामा

कोलकाता, 13 जनवरी (आईएएनएस)। तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने मंगलवार को कहा कि प्राचीन भारतीय मनोविज्ञान आज के मनोविज्ञान की तुलना में काफी विकसित है, लेकिन दुर्भाग्य से इस देश के लोग विचारों के अपने प्राचीन स्कूल को भूलते जा रहे हैं।

प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में व्याख्यान में उन्होंने कहा, “हमें प्राचीन भारतीय मनोविज्ञान पर और अधिक शोध की आवश्यकता है। भारतीय मनोविज्ञान के आगे आधुनिक मनोविज्ञान और बौद्ध मनोविज्ञान बाल साहित्य की तरह नजर आते हैं। प्राचीन भारतीय मनोविज्ञान अत्यधिक विकसित है।”

प्राचीन भारतीय मनोविज्ञान के क्षेत्र में भारतीयों को गुरूजी बताते हुए दलाई लामा ने अपने समुदाय में परंपरा को प्रसारित करने में भारत की भूमिका को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा, “एतिहासिक और पारंपरिक रूप से आप (भारतीय) हमारे गुरू हैं.. हम आपसे हर चीज सीखते हैं.. हम आपके चेला (शिष्य) हैं।”

दलाई लामा ने कहा, “दुर्भाग्य से हाल की सदियों में हमारे गुरूजी (भारत) इन बातों को भूल रहे हैं और ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं और हम चेले (तिब्बतवासी) हजारों साल से इस ज्ञान को ले रहे हैं। इसीलिए अब प्राचीन भारत के बारे में गुरू से अधिक अच्छा ज्ञान चेलों का है।”

भारत में विभिन्न धर्मों के सह-अस्तित्व को उल्लेखित करते हुए उन्होंने कहा, “भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। धर्मनिरपेक्षता के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। सभी धर्मो का सम्मान करो और यहां तक कि नास्तिकों का भी। आज विश्व को इसकी जरूरत है। मैं प्राचीन भारतीय विचारों का संदेशवाहक हूं। भारत इस बात का उदाहरण बन सकता है कि कई धर्मो के लोग एक साथ रह सकते हैं।”

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

प्राचीन मनोविज्ञान को भूल रहे हैं भारतीय : दलाई लामा Reviewed by on . कोलकाता, 13 जनवरी (आईएएनएस)। तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने मंगलवार को कहा कि प्राचीन भारतीय मनोविज्ञान आज के मनोविज्ञान की तुलना में काफी विकसित है, लेकिन दुर् कोलकाता, 13 जनवरी (आईएएनएस)। तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने मंगलवार को कहा कि प्राचीन भारतीय मनोविज्ञान आज के मनोविज्ञान की तुलना में काफी विकसित है, लेकिन दुर् Rating:
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