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 ‘फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में चीन की भूमिका महत्वपूर्ण’ | dharmpath.com

Friday , 6 June 2025

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‘फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में चीन की भूमिका महत्वपूर्ण’

इंचियोन नेशनल युनिवर्सिटी में प्रोफेसर किम जी-ह्वान ने कहा, “जापानी सेना के खिलाफ चीन के प्रतिरोध ने जापानी सेना की एशिया के अन्य देशों को वश में रखने की योजना को पूरी तरह कुचलकर रख दिया, जिससे करोड़ों लोगों की जान बची और क्षेत्रीय शांति की भी सुरक्षा हुई।”

किम ने जापान के खिलाफ युद्ध के दौरान चीन के इतिहास का वर्षो अध्ययन किया है। उनके अध्ययन का केंद्र युद्ध के समय आर्थिक योजना थी।

चीन द्वितीय विश्व युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ, फ्रांस तथा अन्य देशों के साथ फासीवाद विरोधी संयुक्त मोर्चे में शामिल हुआ था।

किम ने कहा, “चीनी लोगों के बलिदान के बिना हम फासीवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में जीत हासिल नहीं कर सकते थे। चीनी लोगों ने शांति के लिए सबसे दृढ़ इच्छा का प्रदर्शन किया और युद्ध में विजय दर्ज कर स्वतंत्रता और संप्रभुता को जीता।”

उन्होंने कहा, “जापानी फासीवादियों के खिलाफ लड़ाई में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने सक्रिय भूमिका निभाई। अग्रिम मोर्चे पर लड़ने वालों से तुलना करें, तो सीपीसी के नेतृत्व में दुश्मन के इलाके में लड़ी गई लड़ाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी।”

किम ने कहा कि जापानी आक्रमणकारियों को हराने में कोरिया के लोगों ने भी चीन का साथ दिया। साल 1919 में कोरिया गणराज्य में अस्थायी सरकार बनने से लेकर अब तक कोरिया को चीनी लोगों व सरकार का समर्थन मिलता रहा है।

दक्षिण कोरियाई इतिहासकार ने अपने देश व चीन को जापानी युद्ध पर संयुक्त शोध को मजबूत करने का आह्वान किया, क्योंकि जापानी आक्रमण के कारण दोनों ही देशों को तकलीफें सहनी पड़ी हैं और जापानी आक्रमणकारियों के खिलाफ दोनोंको साथ मिलकर लड़ना पड़ा है।

उन्होंने कहा, “चूंकि इस साल द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के 70 साल पूरे हो रहे हैं, इसलिए मेरी इच्छा है कि चीन व कोरिया इतिहास के शोध के क्षेत्र में एक नया फासीवाद विरोधी गठबंधन बनाए, वही जो उन्होंने जापान के खिलाफ युद्ध में किया था।”

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