नई दिल्ली, 7 नवंबर- बाल यौन शोषण समाज की एक गंभीर समस्या है। अपने नाटक ‘गुड्डू’ के माध्यम से इस गंभीर समस्या से लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है पाकिस्तान की नाट्य संस्था ‘मास फाउंडेशन’ ने। इस नाटक के निर्देशक आमिर नवाज पाकिस्तान में लंबे अरसे से बाल यौन शोषण के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वे इसे समाज का कोढ़ बताते हैं। नई दिल्ली में चल रहे आठवें अंतर्राष्ट्रीय कला महोत्सव में अपने नाटक के साथ शिरकत करने आए ‘मास फाउंडेशन’ के अध्यक्ष आमिर नवाज से आईएएनएस ने बातचीत की। प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश :
-यह नाटक करने का खयाल कहां से आया?
हमारे समाज में यह मुद्दा दिन ब दिन बेहद गंभीर होता जा रहा है। इस मामले में मां-बाप को अपने बच्चों की बेगुनाही साबित करनी पड़ती है, जो उनके लिए बेहद दर्दनाक होता है। इसके मद्देनजर ही मास फाउंडेशन ने इसके कारणों तथा इस मामले में पाकिस्तानी न्याय व्यवस्था की स्थिति को सामने लाने की योजना बनाई, जिसके बाद ‘गुड्डू’ नाटक का तानाबाना बुना गया।
-आज की तारीख में पाकिस्तान में थिएटर के क्या हालात हैं?
सच कहूं, तो पाकिस्तान का थिएटर जिंदा रहने के लिए संघर्षशील है। हालात यह हैं कि पूरे पाकिस्तान में आज के दौर में नियमित तौर पर नाटक करने वाले मात्र पांच से छह थिएटर ग्रुप हैं। प्रत्येक थिएटर ग्रुप सालाना करीब 30 नाटक करते हैं। दर्शकों के समर्थन के बूते ये पांच से छह थियेटर ग्रुप भी जिंदा हैं, नहीं तो ये भी बंद हो गए होते।
-सरकार नाट्य संस्थाओं को वित्तीय मदद देती है?
बहुत ज्यादा नहीं। गैर सरकारी संस्थाएं तथा निजी कंपनियां नाट्य संस्थाओं को वित्तीय मदद देती हैं। यही कारण है कि वहां बहुत ज्यादा संस्थाएं नहीं है।
-भारत तथा पाकिस्तान की संस्कृति में क्या भिन्नता पाते हैं?
मुझे तो नहीं फर्क ही नहीं दिखता है। दोनों ही देशों की संस्कृतियां एक समान हैं। यही कारण है कि हम अपने नाटक को लेकर बार-बार हिंदुस्तान आते हैं। भाषाई दीवार न होने के कारण भारतीय दर्शकों से हमें बेहद अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है। इससे पहले हम अमृतसर, जालंधर, कटक सहित कई शहरों में अपना नाटक कर चुके हैं। हिंदुस्तान के लोगों से हमें बेहद स्नेह मिलता है, जिसके कारण हम बार-बार यहां नाटक करना चाहते हैं।
-पाकिस्तान में बाल यौन शोषण की क्या स्थिति है?
यह तो समाज का कोढ़ है। हर समाज को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पाकिस्तान की न्यायिक प्रक्रिया में इसे साबित करना बेहद टेढ़ी खीर होती है। कानूनी कार्रवाई इतनी लंबी होती है कि साधारण लोग इसे झेल नहीं पाते, जिसका फायदा आरोपी उठाता है और सजा से बच निकलता है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि लोग अब जागरूक हो रहे हैं और इन मामलों को घर में न छिपाकर उसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
-अपने नाटक के बारे में कुछ बताएंगे?
यह नाटक एक बच्ची के जीवन पर आधारित है। उसका चाचा उसके साथ दुष्कर्म करता है। उसके मां-बाप को विश्वास में लेकर वह उसपर लगातार यौन आक्रमण करता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अदालत में इस बात को साबित करने के लिए उसके मां-बाप को काफी समय लग जाता है। इसका फायदा आरोपी उठाता है।