पटना, 9 मई (आईएएनएस)। अखिल भारतीय कांग्रेस की सचिव और प्रवक्ता रंजीत रंजन ने यहां बुधवार को विशेष राज्य के दर्जा को बिहार की जरूरत बताते हुए कहा कि बिहार में बाढ़-सूखाड़ और झारखंड के बंटवारे के बाद सकल घेरलू उत्पाद (जीडीपी) को बढ़ाने के लिए कोई संसाधन नहीं बचा। यही कारण है कि विशेष राज्य का दर्जा बिहार का हक है और कांग्रेस इसका पूरा समर्थन करती है।
सुपौल की सांसद ने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना कांग्रेस की प्राथमिकता होगी।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) तब से उठा रही है, जब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। उस समय कांग्रेस की सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।
पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में रंजन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सात निश्चय कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए इसे गरीबों के पैसों की लूट बताया। उन्होंने नीतीश को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि अगर वे दलितों के हितैषी हैं, तो दलित विरोधी लोगों के साथ सरकार में क्यों हैं और वे उनके कृत्यों पर चुप क्यों हैं?
बिहार में कानून-व्यवस्था की हालत पर सवाल उठाते हुए उन्होनंे कहा कि जिस न्याय के साथ विकास की बात नीतीश कुमार करते हैं, क्या यही है जहां हत्या, लूट, दुष्कर्म आम हो गए हैं? बच्चियों के साथ दुष्कर्म और उनका वीडियो वायरल किया जाता है। उन्होंने कहा कि आज अपराधियों में कानून का भय समाप्त हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में सभी केंद्रीय व राज्य की योजनाओं के कार्य ठप्प हैं।
रंजन ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह सरकार गरीब, दलित और महिला विरोधी है। जब पेट्रोल की कीमत 60-62 रुपये थी, तब उन्होंने कहा कि महंगाई चरम पर है। आज पेट्रोल की कीमत चार सालों में हर दिन बढ़ने के बाद 80 रुपये पार कर गई है। ये तो कर्नाटक का चुनाव है, वरना ये कीमत 100 रुपये को भी पार कर गई होती।”
मोदी सरकार को जुमलों और प्रोपेगेंडा की सरकार बताते हुए रंजन ने कहा कि सरकार अपने किए गए सभी वादों को पूरा करने में नाकाम रही है।
रंजन ने कहा कि राजग सरकार में महिला अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने रोजगार के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि चुनाव के समय 2014 में देश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का वादा किया गया था और अब पकौड़े बेचने, पान बेचने को कहा जा रहा है।