Tuesday , 21 May 2024

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बिहार : हारी हुई पार्टियों के दफ्तरों में सन्नाटा

पटना, 9 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हारी हुई पार्टियों के कार्यालयों का नजारा सोमवार को ठीक वैसा ही रहा, जैसा बेटी को विदा करने के बाद घर सूना-सूना और चेहरे उदास रहते हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं की चहलकदमी से गुलजार रहने वाले दफ्तरों में रविवार की दोपहर के बाद से ही सन्नाटा पसरा हुआ है। यही हाल हारे उम्मीदवारों के घरों की भी है।

पटना, 9 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हारी हुई पार्टियों के कार्यालयों का नजारा सोमवार को ठीक वैसा ही रहा, जैसा बेटी को विदा करने के बाद घर सूना-सूना और चेहरे उदास रहते हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं की चहलकदमी से गुलजार रहने वाले दफ्तरों में रविवार की दोपहर के बाद से ही सन्नाटा पसरा हुआ है। यही हाल हारे उम्मीदवारों के घरों की भी है।

प्रदेश में चुनाव के दौरान लगभग दो माह तक इन कार्यालयों में गहमागहमी रही। पहले जहां टिकट पाने और कटवाने को लेकर जोर आजमाइश चली, फिर टिकट कटने वालों का पार्टी कार्यालयों से लेकर नेताओं के बंगलों तक पर हुजूम जमा रहा। बात जब टिकट मिलने और नामांकनपत्र भरने की प्रक्रिया से आगे पहुंची, तब से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का पटना में जमघट लगने लगा था।

चुनाव प्रचार के दौरान पूरे एक पखवाड़े भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल (युनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) जैसी तमाम पार्टियों के कार्यालयों तथा प्रमुख नेताओं के आवास पर मेला जैसा नजारा रहा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के स्वागत और सत्कार में कार्यकर्ताओं की भीड़ कार्यालयों में भी पटी रही।

पांचवें चरण के मतदान होने के बाद तो लगभग सभी पार्टी कार्यालयों में शांति थी, चुनाव में विजयी होने वाली पार्टियों के कार्यालयों में यह शांति ‘तूफान’ के पूर्व की शांति जैसे साबित हुई।

चुनाव परिणाम के बाद महागठबंधन में शामिल जद (यू), राजद और कांग्रेस के कार्यालयों में जहां चहलपहल और जश्न का दौर सोमवार को भी जारी है वहीं हारी हुई पार्टियों के गुलजार रहने वाले कार्यालय और नेताओं व उम्मीदवारों के आवास की स्थिति लगभग वैसी ही नजर आ रही है जैसी विदा के बाद लड़की के घर का हाल होता है।

भाजपा के प्रदेश कार्यालय में सोमवार को पार्टी के नेता संजय मयूख तो पहुंचे, गुलजार रहने वाले इस कार्यालय में चहल पहल का अभाव था। इक्का-दुक्का लोग ही नजर आए। मयूख कहते हैं कि चुनाव प्रचार ने नेताओं से लेकर उम्मीदवारों तक को थका दिया है और वे अब अपनी थकान मिटाने में लग गए हैं। वे भी मानते हैं कि पार्टी की हार तो थकान को और बढ़ा ही देती है।

लोजपा कार्यालय का भी हाल कमोबेश वैसा ही है। पार्टी कार्यालय में कोई बड़ा नेता अभी तक नजर नहीं आया। इधर, सांसद पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी के कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा हुआ है।

पार्टी प्रवक्ता रंजन सिन्हा कहते हैं कि सांसद और पार्टी प्रमुख की तबियत खराब है। कुछ नेता दिल्ली गए हुए हैं तो कई अपने क्षेत्र में हैं। वे कहते हैं कि मतदान खत्म होने के बाद तथा यूं कहें कि पार्टी प्रमुख की तबीयत बिगड़ने के बाद से ही कार्यालय में कार्यकर्ताओं की मौजूदगी कुछ कम रही। हार चुकी अन्य पार्टियों के कार्यालयों का भी हाल कमोबेश ऐसा ही है।

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान होने के बाद रविवार को मतगणना हुई। घोषित परिणामों के मुताबिक, इस चुनाव में जद (यू), राजद और कांग्रेस महागठबंधन को 178 सीटें मिलीं। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीन अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और मात्र 58 सीटों पर सिमटकर रह गई।

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