चेन्नई, 26 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्व विभाग गलत तरीके से सेनवैट क्रेडिट हासिल करने के लिए वाहन डीलरों की अपेक्षा गैर-जीवन बीमा कंपनियों की तहकीकात कर रहा है, क्योंकि बीमा कंपनियां आंकड़े के लिहाज से आसान लक्ष्य हैं। यह बात एक उद्योग संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही।
चेन्नई, 26 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्व विभाग गलत तरीके से सेनवैट क्रेडिट हासिल करने के लिए वाहन डीलरों की अपेक्षा गैर-जीवन बीमा कंपनियों की तहकीकात कर रहा है, क्योंकि बीमा कंपनियां आंकड़े के लिहाज से आसान लक्ष्य हैं। यह बात एक उद्योग संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही।
वित्त मंत्रालय के डायरेक्टर जनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलीजेंस की चेन्नई जोनल इकाई ने कार डीलरों के फर्जी चालान पर गलत तरीके से 1,200-2,500 करोड़ रुपये का सेनवैट क्रेडिट का दावा करने के लिए अगस्त में बीमा कंपनियों को सम्मन जारी किया था।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ऑफ इंडिया के महासचिव आर. चंद्रशेखरन ने बुधवार को ई-मेल के जरिए आईएएनएस से कहा, “कुछ वाहन डीलरों द्वारा आउटसोर्स की गई सेवाओं के लिए किए गए भुगततान पर सेवा कर जमा नहीं करने के कारण राजस्व विभाग ने सेनवैट क्रेडिट पर बीमा कंपनी के नजरिए से तहकीकात शुरू की है।”
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ऑफ इंडिया देश में गैर-जीवन बीमा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है।
उनके मुताबिक, साधारण बीमा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस प्रक्रियात्मक या दस्तावेजी कमियों के कारण जारी किया गया हो सकता है।
चंद्रशेखर ने कहा, “बीमा कंपनियों ने सेवा वाहन डीलरों से ली है और सेवा के लिए भुगतान किया है तथा उस पर सेवा कर भी जमा किया है।”
उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियां कारण बताओ नोटिस का जवाब देंगी और जरूरी सबूत तथा मांगी गई सूचना उपलब्ध कराएगी।
चंद्रशेखर ने कहा, “डीलरों का आउटसोर्स की गई सेवाओं के लिए भुगतान किया जाता है, जो मुख्य व्यवसाय का हिस्सा नहीं होता, बल्कि यह सहायक ग्राहक सेवा गतिविधियों के तहत होता है, जो अन्यथा बीमा कंपनी के कार्यालय में किया जा सकता है।”
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा है कि नियमों के तहत आईआरडीएआई द्वारा मान्यता प्राप्त बीमा एजेंट और बीमा ब्रोकर के अलावा किसी को भी वाहन बीमा योजना बेचने की अनुमति नहीं है।
साथ ही बीमा योजना बेचने के लिए अधिकतम कमीशन प्रीमियम का 10 फीसदी ही हो सकता है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि नियमों के साथ छलावा करने के लिए बीमा कंपनियों ने कार डीलरों से कहा कि वे ऐसे चालान दें, जिनसे पता चले कि उन्होंने विज्ञापन, कंप्यूटर/प्रिंटर किराए पर देने, प्रशिक्षण देने, ग्राहक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने तथा इस तरह की अन्य सेवाएं दी हैं।
मंत्रालय ने कहा, “ये सेवाएं कार डीलर नहीं दिया करते हैं, इसलिए सेनवैट क्रेडिट नियम-2004 और सेवा कर नियम-1194 के तहत बीमा कंपनियों द्वारा सेनवैट क्रेडिट हासिल करने के लिए ये चालान योग्य दस्तावेज नहीं हैं।”
वित्त मंत्रालय ने कहा, “बीमा कंपनियों और कार डीलरों के कर्मचारियों द्वारा इस तथ्य की पुष्टि की गई है। इस मामले में करीब 1,200-2,500 करोड़ रुपये के गलत सेनवैट क्रेडिट का दावा किए जाने का अनुमान है।”
चंद्रशेखर ने आगे कहा, “चूंकि बीमा उद्योग और कर विभाग इस मामले पर काम कर रहे हैं, इसलिए अभी इसे मीडिया में उठाना जरूरी नहीं है।”