Friday , 17 May 2024

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मनोहर की देखरेख में बीसीसीआई में बदलाव की बयार

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर की देखरेख में बदलाव की बयार बहने लगी है। 5 अक्टूबर को बोर्ड की शीर्ष कुर्सी ग्रहण करने के एक पखवाड़े के भीतर ही मनोहर ने साफ संकेत दे दिए हैं कि वह अपने पहले कार्यकाल की गलतियों को नहीं दोहराएंगे और अगर जरूरत हुई तो सुधारों के लिए बोर्ड के संविधान में भी परिवर्तन करेंगे।

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर की देखरेख में बदलाव की बयार बहने लगी है। 5 अक्टूबर को बोर्ड की शीर्ष कुर्सी ग्रहण करने के एक पखवाड़े के भीतर ही मनोहर ने साफ संकेत दे दिए हैं कि वह अपने पहले कार्यकाल की गलतियों को नहीं दोहराएंगे और अगर जरूरत हुई तो सुधारों के लिए बोर्ड के संविधान में भी परिवर्तन करेंगे।

मनोहर की देखरेख में रविवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए बोर्ड हितों के टकराव के संदर्भ में संविधान संशोधन के लिए भी राजी दिखा। बोर्ड ने साफ किया कि इस संबंध में अगली वार्षिक आम सभा की बैठक में प्रस्ताव पेश किया जाएगा। बोर्ड की अगली वार्षिक आम सभा नौ नवंबर को मुंबई स्थित बोर्ड मुख्यालय में होगी।

हितों के टकराव के मुद्दे पर ही मनोहर का उनके पुराने मित्र और बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के बीच दूरियां बन गई हैं। हितों के टकराव के मुद्दे पर ही सर्वोच्च न्यायलय ने श्रीनिवासन को बोर्ड अध्यक्ष पद से हटाया था। आज बोर्ड में श्रीनिवासन की पैठ बिल्कुल खत्म हो चुकी है और नया नेतृत्व बोर्ड तथा इंडियन प्रीमियर लीग की छवि सुधारने को कृतसंकल्प दिख रहा है।

लीग की खराब छवि के कारण मुख्य टाइटिल स्पांसर पेप्सी ने पांच साल का करार तीन साल में ही खत्म कर दिया। अब बोर्ड ने आईपीएल के लिए वीवो मोबाइल्स को नए टाइटिल स्पांसर के तौर पर चुना है, जिसे 10 दिनों के भीतर बैंक गारंटी राशि जमा करनी है।

पहली बैठक में ही लिए अहम फैसले :

मुम्बई स्थित मुख्यालय में आयोजित कार्यकारी समिति की बैठक में बोर्ड ने एक और अहम फैसला लेते हुए आईपीएल की फ्रेंचाइजी टीमों-चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को लेकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित लोढ़ा समिति की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने का फैसला किया। ये टीमें लीग से दो वर्ष के लिए निलंबित रहेंगी।

बोर्ड ने यह भी कहा कि आईपीएल के नौवें और दसवें संस्करण (2016 और 2017) के लिए रॉयल्स और सुपर किंग्स की स्थानापन्न टीमों के लिए नए सिरे से निविदाएं जारी की जाएंगी। सुपर किंग्स और रॉयल्स 2018 में होने वाले आईपीएल-11 के साथ वापसी कर सकेंगी।

उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित लोढ़ा समिति ने रॉयल्स के सह-मालिक राज कुंद्रा और सुपर किंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन को आईपीएल-2013 में सट्टेबाजी का दोषी पाए जाने के बाद दोनों टीमों को दो वर्ष के लिए निलंबित करने की सिफारिश की थी।

श्रीनि के साथ की गई गलतियों को नहीं दोहराना चाहेंगे :

क्रिकेट जगत के सबसे शक्तिशाली पद पर आसीन मनोहर को एक ईमानदार व्यक्ति के रूप में जाना जाता है लेकिन यह सब जानते हैं कि मनोहर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्म पर श्रीनिवासन के साथ अपने अच्छे सम्बंधों के कारण आए थे। इसी सम्बंध के कारण वह 2004 में बीसीसीआई उपाध्यक्ष चुने गए। अगले ही साल श्रीनिवासन कोषाध्यक्ष चुने गए। 2008 से 2011 तक मनोहर अध्यक्ष रहे और श्रीनिवासन ने सचिव की भूमिका सम्भाली। इस दौरान दोनों ने एक दूसरे की अहमियत तो समझा।

मनोहर ने 2011 में अध्यक्ष पद छोड़ा। उनके कार्यकाल के दौरान भी कई दिक्कतें थीं लेकिन वे तब तक सामने नहीं आईं। मोदी 18 महीनों तक बीसीसीआई के नियमों की धज्जियां उड़ाते रहे और मनोहर तथा श्रीनिवासन चुपचाप उसे देखते रहे। यहां मनोहर ने अपने क्रिकेट प्रशासक जीवन की सबसे बड़ी गलती की थी और 5 अक्टूबर को पदभार ग्रहण करते हुए उन्होंने जिन समस्याओं की बात की थी, उनमें से आधे से अधिक उनकी इसी चुप्पी का नतीजा हैं।

मनोहर के कार्यकाल में ही बोर्ड के संविधान में बदलाव किया गया था और यह नियम लाया गया कि बीसीसीआई अधिकारी भी आईपीएल में पैसा लगा सकते हैं। उस समय मनोहर बोर्ड की संविधान विवेचना समिति के सदस्य थे। इसी बदलाव के कारण श्रीनिवासन ने अपनी कम्पनी इंडिया सीमेंट्स के माध्यम से सुपर किंग्स का मालिकाना हक हासिल किया था। यहीं से हितों के टकराव की समस्या उत्पन्न हुई थी, जिसका पता शुरुआत के पांच-सात साल तक नहीं चल सका।

बदलाव की इच्छा के साथ पहल शुरू :

मनोहर ने बोर्ड को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए दो महीने का समय मांगा था। सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करने वाले किसी व्यक्ति के लिए घोषित तमाम सुधारों को लागू करने के लिए दो महीने का वक्त बहुत होता है।

अभी 15 दिन भी नहीं बीते कि मनोहर की अध्यक्षता में बोर्ड ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने, दो नई टीमों के लिए निविदा जारी करने और उनका चयन पारदर्शी आधार पर करने तथा सबसे अहम हितों के टकराव को रोकने के लिए संविधान में बदलाव की इच्छा जाहिर की है। साथ ही साथ बोर्ड ने समय से पहले करार समाप्त करने पर पेप्सी के खिलाफ भी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करने फैसला किया क्योकि उसके मुताबिक पेप्सी एक अच्छा साझीदार रहा है।

ये तमाम बातें इस बात का संकेत देती हैं कि मनोहर बदलाव के पक्षधर हैं और इस ओर प्रयास भी कर रहे हैं। आज की तारीख में जो लोग उनके साथ जुड़े हैं, वे भी इसी ओर देख रहे हैं। साथ ही वे तमाम क्रिकेट प्रेमी और जानकार भी यही देखना चाहते हैं कि मनोहर बोर्ड तथा लीग की छवि किस हद तक सुधार पाते हैं।

मनोहर की देखरेख में बीसीसीआई में बदलाव की बयार Reviewed by on . नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर की देखरेख में बदलाव की बयार बहने लगी है। 5 अक्टूबर को बोर्ड क नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए अध्यक्ष शशांक मनोहर की देखरेख में बदलाव की बयार बहने लगी है। 5 अक्टूबर को बोर्ड क Rating:
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